What is External Revenue Service: अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के फौरन बाद, डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अमेरिकी नागरिकों पर टैक्स लगाने के बजाय “विदेशी देशों पर टैरिफ लगाने और टैक्स लगाने” के लिए बाहरी राजस्व सेवा, यानि ‘एक्सटर्नल रेवेन्यू सर्विस’ की स्थापना की घोषणा की है। उन्होंने “अमेरिकी श्रमिकों और परिवारों की सुरक्षा के लिए” व्यापार प्रणाली में “कायापलट” करने की भी कसम खाई है।
लेकिन, भारत की नजर ‘एक्सटर्नल रेवेन्यू सर्विस’ सिस्टम पर है और डर है, कि भारत के भी खिलाफ डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ युद्ध शुरू कर सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप बार बार टैरिफ को लेकर भारत पर निशाना साध चुके हैं और अपने चुनावी कैम्पेन के दौरान भी उन्होंने भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहा था।
डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अपने उद्घाटन भाषण में कहा, कि “मैं अमेरिकी श्रमिकों और परिवारों की सुरक्षा के लिए तुरंत अपने व्यापार प्रणाली में सुधार शुरू करूंगा, अपने नागरिकों पर टैक्स लगाने के बजाय, हम अपने नागरिकों को समृद्ध बनाने के लिए विदेशी देशों पर शुल्क लगाएंगे और टैक्स लगाएँगे। इस उद्देश्य के लिए, हम सभी शुल्क, शुल्क और राजस्व एकत्र करने के लिए ‘बाहरी राजस्व सेवा’ की स्थापना कर रहे हैं।”
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, कि इससे देश के खजाने में “विदेशी स्रोतों से आने वाली” “भारी मात्रा में धनराशि” आएगी। डोनाल्ड ट्रंप के इस ऐलान के बाद एक्सपर्ट्स का कहना है, कि उन्होंने विदेशों के साथ टकराव का रास्ता खोल दिया है। सबसे पहले टैरिफ की जद में आने वाले अमेरिका के दो पड़ोसी देश कनाडा और मैक्सिको ही हैं, जिनके ऊपर 1 फरवरी से 25 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। इन दोनों ही देशों का निर्यात अमेरिका पर टिका है और कनाडा के लिए ये बहुत बड़ी मुसीबत है। कनाडा में हाहाकार मच गया है और अरबों डॉलर का नुकसान होने की आशंका है। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक इसकी घोषणा नहीं की है, कि चीनी सामानों पर कितना टैरिफ लगाया जाएगा। हालांकि, पहले उन्होंने 60 प्रतिशत से ज्यादा टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। चीन, पहले ही अमेरिकी टैरिफ को काउंटर करने की तैयारी कर रहा है।