चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने वर्ष 1998 से 2014 तक जिला पंचकूला में विभिन्न गांवों की अधिग्रहित शामलात भूमि के लिए मुआवजे के वितरण में हुई अनियमितताओं की विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं।
एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए यह पता लगाने के लिए विजिलेंस जांच करवाने के आदेश दिए हैं कि शामलात भूमि में हिस्सेदार मुआवजे के लिए हकदार थे या नहीं।
प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के क्षेत्रीय प्रशासक-सह-अतिरिक्त निदेशक, शहरी सम्पदा, पंचकूला ने रिपोर्ट दी है कि शामलात भूमि के संबंध में मुआवजे का भुगतान ग्राम शामलात भूमि अधिनियम के तहत कलैक्टर के किसी आदेश के बिना किया गया है। इसमें नाडा, महेशपुर, चोकी, सकेतड़ी, सुरजपुर, रामपुर, सियुड़ी, राजीपुर और मानकपुर जैसे कई गांव शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि 18 गांवों की राजस्व सम्पदाओं में पडऩे वाली कुल अधिग्रहित शामलात भूमि 375.88 एकड़ है। इस मामले पर अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत द्वारा फैसला दिया गया था। इसका कुल मुआवजा 373.15 करोड़ रुपये है। भूमि अधिग्रहण अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) अधिनियम, 1961 की धारा 13ए में निहित प्रावधान का उल्लंघन हुआ है क्योंकि उक्त अधिनियम की धारा 13ए के तहत पंचायत की किसी भूमि या अन्य अचल संपत्ति में अधिकार या हित से संबंधित मुकदमे में अपने समक्ष किये गए किसी दावे का निर्णय करने के लिए सम्बंधित जिले का कलैक्टर सक्षम है। पंजाब भूमि राजस्व नियम के नियम 71 के क्रम संख्या 4 के प्रावधान के अनुसार ”जब तक अपेक्षित न हो, किसी राजस्व दीवानी या फौजदारी मामले के सम्बन्ध में हिस्सेदारों की सूची क्लैक्टर की पूर्व स्वीकृति के बिना तैयार की या भेजी नहीं जा सकती।
हालांकि, 57.74 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया जाना है। शहरी सम्पदा के क्षेत्रीय अतिरिक्त निदेशक ने बताया कि हिस्सेदारों को मुआवजा तथा बढ़ा हुआ मुआवजा ग्राम शामलात भूमि अधिनियम के तहत क्लैक्टर के किसी आदेश के बिना गलत ढंग से दिया गया है। उच्च न्यायालय तथा भारत के सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा पारित कई फैसलों, जिनमें यह पाया गया कि शामलात भूमि पर ग्राम सभा/ग्राम पंचायत का अधिकार होता है, मुआवजा या बढ़ा हुआ मुआवजा सम्बंधित ग्राम पंचायत या नगर निगम पंचकूला को जाना चाहिए या मामले को मुआवजे/बढ़े हुए मुआवजे के निर्धारण हेतु 1894 के अधिनियम की धारा 30 के तहत अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के न्यायालय को भेजा जाना चाहिए, जैसा कि हाल ही में गांव सकेतड़ी की अधिग्रहित भूमि के लिए 5.91 करोड़ रुपये की राशि के बढ़े हुए मुआवजे के मामले में किया गया है।