यूपी के महोबा में व्यापारी इंद्रकांत से वसूली और आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में फंसे आईपीएस मणिलाल पाटीदार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 6 महीने पहले ही बर्खास्त कर दिया था.
मगर, यूपी पुलिस के अफसरों ने अपने कैडर के अधिकारी की बर्खास्तगी को 6 महीने तक दबाए रखा. पाटीदार की बर्खास्तगी को दबाने का यह अकेला मामला नहीं है. डीजीपी मुख्यालय के आला अफसर शुरू से ही पाटीदार के मददगार थे. एफआईआर दर्ज होने के बाद भी उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई थी. इसके बाद उसने नाटकीय ढंग से लखनऊ कोर्ट में सरेंडर किया और किसी को भनक तक नहीं लगी.
पाटीदार पर अफसरों की कृपा की कहानी बताने से पहले आपको व्यापारी इंद्रकांत से जुड़ा पूरा मामला बताते हैं. दरअसल, 8 सितंबर 2020 को महोबा के करवई थाना इलाके के व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने तत्कालीन महोबा एसपी मणिलाल पाटीदार के खिलाफ एक सोशल मीडिया पोस्ट डाली थी. इसमें पाटीदार पर वसूली के लिए प्रताड़ित किए जाने के आरोप लगाए गए थे. पोस्ट डालने के बाद इंद्रकांत पर फायरिंग हुई.
साल 2020 में पाटीदार के खिलाफ एफआईआई दर्ज कराई गई
इसमें वो घायल हो गए और महोबा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से कानपुर रेफर किया गया और इलाज के दौरान 13 सितंबर को उनकी मौत हो गई. मौत के बाद परिजनों की तरफ से पाटीदार पर आरोप लगाए गए थे. इंद्रकांत के भाई रविकांत त्रिपाठी ने 11 सितंबर 2020 की शाम थाना कबरई में पाटीदार के खिलाफ एफआईआई दर्ज करवाई थी.
सितंबर 2020 से यूपी पुलिस की साख पर बट्टा लगाने वाले मणिलाल को भले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय की सिफारिश पर बर्खास्त कर दिया गया हो, मगर यूपी पुलिस के आला अफसर अपने कैडर के इस आईपीएस को शुरू से बचाने में जुटे रहे. मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर पाटीदार को निलंबित किया गया और कई पुलिसकर्मियों पर एफआईआर भी दर्ज हुई थी.
कुर्की की कार्रवाई शुरू की तो उसमें भी खानापूर्ति ही रही
इसके बाद एक तरफ महोबा पुलिस पाटीदार को ढूंढ रही थी तो दूसरी तरफ मणिलाल ने डीजीपी मुख्यालय में अफसरों से मुलाकात की और आमद भी कराई. मगर, महोबा पुलिस और मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने वांटेड मणिलाल को न तो गिरफ्तार करने की कोशिश की और न ही उससे किसी अफसर ने पूछताछ की. उसकी तलाश में कहने को तो यूपी एसटीएफ भी लगी लेकिन वो भी नाकाम रही.
लगातार फरार रहने के चलते पाटीदार के खिलाफ पुलिस ने कुर्की की कार्रवाई शुरू की तो उसमें खानापूर्ति ही रही. राजस्थान के डूंगरपुर स्थित मणिलाल पाटीदार के पैतृक आवास पर एक पुरानी कार और एक छोटे मकान को फर्ज अदायगी के साथ कुर्क कर दिया गया.
गृह मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में ही पाटीदार को बर्खास्त किया
इसके बाद पाटीदार ने गुपचुप 15 अक्टूबर 2022 को लखनऊ कोर्ट में सरेंडर किया. इस बारे में पुलिस को पता तक नहीं चल सका. जून 2022 में उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से मणिलाल को भारतीय पुलिस सेवा से बर्खास्त करने के लिए रिपोर्ट भेजी गई. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद दिसंबर 2022 में ही मणिलाल पाटीदार को बर्खास्त कर दिया.
इसकी सूचना उत्तर प्रदेश पुलिस को भी दे दी. मगर, मणिलाल पाटीदार को बर्खास्त करने की कार्रवाई को पुलिस मुख्यालय के अफसरों ने दबा दिया. जबकि मणिलाल से पहले उत्तर प्रदेश पुलिस के 3 आईपीएस अफसरों को जबरन रिटायर किया गया और जीरो टॉलरेंस की नीति का हवाला देकर खूब ढिंढोरा पीटा गया.
मार्च 2022 में आईपीएस अमिताभ ठाकुर, डीआईजी राकेश शंकर और राजेश कृष्णा को कंपलसरी रिटायरमेंट दिया गया. जीरो टॉलरेंस की नीति बताकर वाहवाही लूटी गई. मगर, मणिलाल पाटीदार की केंद्रीय गृह मंत्रालय से बर्खास्तगी को पुलिस के आला अधिकारी 6 महीने तक दबाए रहे.