अमेरिकी डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया है, जो भारतीय छात्रों के लिए एक नई चिंता का कारण बन सकता है. ट्रंप सरकार ने उन छात्रों के नाम और राष्ट्रीयता की जानकारी मांगी है, जो विश्वविद्यालयों में एंटी-सेमिटिक (यहूदी विरोधी) उत्पीड़न और बड़े पैमाने पर कैंपस प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं. इस कदम से यह आशंका जताई जा रही है कि इन छात्रों को डिपोर्ट (निकालने) करने का जोखिम बढ़ सकता है, खासकर विदेशी छात्रों के लिए.
क्या है मामला?
जिन विश्वविद्यालयों पर यह आरोप लगे हैं कि उन्होंने यहूदी छात्रों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी, उन पर ट्रंप प्रशासन ने सख्ती बरतने की धमकी दी है. प्रशासन ने यह भी संकेत दिया है कि जिन छात्रों पर उत्पीड़न का आरोप है, उनके नाम, जातीयता और राष्ट्रीयता की जानकारी ली जा रही है. यह जानकारी उन छात्रों के खिलाफ एक ‘सूचना लिस्ट’ तैयार करने के लिए ली जा रही है, जिससे भविष्य में उन्हें देश से बाहर निकाला जा सके.
भारतीय छात्रों के लिए चिंता का विषय
भारतीय छात्र जो अमेरिकी विश्वविद्यालयों में सबसे बड़ी संख्या में हैं, इस कदम से खासतौर पर प्रभावित हो सकते हैं. 2023-2024 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में 3,31,602 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में अगर इस तरह की नीतियां लागू होती हैं, तो भारतीय छात्रों की स्थिति और अधिक जटिल हो सकती है.
कोलंबिया विश्वविद्यालय में कुछ छात्रों के खिलाफ इस तरह के मामलों की शुरुआत हुई थी और वहां से यह स्थिति अन्य विश्वविद्यालयों तक फैलने का खतरा है. अगर छात्रों के नाम और राष्ट्रीयता की जानकारी जुटाई जाती है, तो यह विशेष रूप से विदेशी छात्रों के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है.
क्या होगा अगर यह नीति लागू होती है?
अगर ट्रंप प्रशासन की यह नीति पूरी तरह से लागू होती है, तो अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को एक नया संकट सामना करना पड़ सकता है. ऐसे छात्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है जो किसी राजनीतिक आंदोलन में शामिल होते हैं, और उन्हें बिना अपराध साबित होने के भी निशाना बनाया जा सकता है
कोलंबिया विश्वविद्यालय का उदाहरण
हाल ही में कोलंबिया विश्वविद्यालय में छात्र प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्रों को निशाना बनाया गया था. ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय ने यहूदी छात्रों की सुरक्षा को सही से सुनिश्चित नहीं किया. इसके बाद, विश्वविद्यालय को $400 मिलियन का फंड रोकने की धमकी दी गई और प्रशासन ने कई सुधारात्मक कदम उठाने को कहा. कोलंबिया ने इसके जवाब में अपनी नीतियों में बदलाव किए हैं और छात्रों को पहचानने का आदेश दिया है.
ट्रंप प्रशासन का यह कदम अमेरिकी कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के लिए चिंता का कारण बन सकता है. इस कदम से छात्रों को यह डर हो सकता है कि अगर वे किसी आंदोलन में भाग लेते हैं, तो उनका नाम और राष्ट्रीयता भविष्य में उन्हें मुश्किल में डाल सकती है. ऐसे में, भारतीय छात्रों को इस नए बदलाव के बारे में पूरी जानकारी रखना बेहद जरूरी है, ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सकें और किसी भी कानूनी परेशानी से बच सकें.