Happy Republic Day 2025: पंजाब की झांकी तीन साल के अंतराल के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में नजर आई. इसका थीम ‘पंजाब ज्ञान और बुद्धि की भूमि है’ रखा गया था. य़ह झांकी बाबा शेख फरीद को समर्पित की गई. साथ ही ग्रामीण पंजाब के भी दर्शन कराए गए.
दिल्ली के कर्तव्य पथ पर जब पंजाब की झांकी निकली तो दर्शक दीर्घा में मौजूद हजारों लोगों ने इस राज्य की विविधता के दर्शन किए. कृषि से लेकर फुलकारी कढ़ाई को विशेष रूप से दिखाया गया. झांकी का पहला हिस्सा कृषि को समर्पित था जिसमें दो बैलों के जोड़े की मदद से खेती की जा रही थी. दूसरे हिस्से में पंजाब का लोक संगीत और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ कलाकार नजर आए.
21 दिन में तैयार हुई थी झांकी
इसका तीसरा हिस्सा फुलकारी कढ़ाई को समर्पित था जिसमें एक पंजाबी लड़की घर के बाहर कढ़ाई कर रही है. इससे पहले पंजाब की झांकी 2022 में दिखी थी. 2023 और 2024 में झांकी को स्थान ना मिल पाने पर सीएम भगवंत मान ने नाखुशी भी जाहिर की थी. केंद्र सरकार पर जमकर अपनी भड़ास निकाली थी. हालांकि इस बार पंजाब की एंट्री हुई. कलाकारों ने 21 दिन की मेहनत के बाद इस झांकी को तैयार किया था जिसे कर्तव्य पथ पर दर्शकों की काफी सराहना भी मिली.
कौन हैं बाबा शेख फरीद
बाबा शेख फरीद पंजाब के पहले कवि थे जिनका पंजाब के साहित्य में अहम योगदान है. सूफीसंत बाबा शेख फऱीद का जन्म 1173 में कोठवाल गांव में हुआ था जो कि अब पाकिस्तान का हिस्सा है. इनकी रचनाओं का स्वरूप सूफी है. इसी सूफी अंदाज के कारण उनकी लेखनी को देश में प्रसिद्धी मिली. यह उनकी प्रसिद्धि ही थी कि पंजाब में एक शहर (फरीदकोट) का नाम उन्हीं पर रखा गया है. बाबा फरीद ने दार्शनिक और संत के रूप में भी प्रसिद्धि पाई थी.