दिल्ली: 1984 सिख विरोधी दंगा मामला | वकील अनिल कुमार शर्मा कहते हैं, ”जगदीश टाइटलर का मामला आज गवाही के लिए तय किया गया था और जो गवाह आया था, उसने इसे दोबारा शुरू करवाया है। हालांकि वह एक सुनी-सुनाई गवाह है, जिसने कुछ भी नहीं देखा है। उनकी दलील थी कि एक सुरिंदर सिंह जो हेड ग्रंथी थे। पुल बंगश गुरुवारा। उन्होंने कड़कड़डूमा कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से यह सूचना दी थी…हमने रिकॉर्ड में बताया है कि जिस व्यक्ति का वह नाम ले रही है वह फरवरी से दिसंबर तक भारत में था ही नहीं, इसलिए हमने उसे कोई सुझाव नहीं दिया आप उनसे मिल चुके हैं और न ही आप उनसे किसी भी परिस्थिति में मिल सकते हैं। और सीबीआई के रिकॉर्ड के अनुसार, वह बाहर थे। पासपोर्ट के अनुसार, वह कभी उनके पास नहीं आए…सुरिंदर सिंह की 2009 में मृत्यु हो गई जब तक वह जीवित था उसने कभी कोई शिकायत दर्ज नहीं की…लेकिन उसकी (सुरिंदर सिंह) मौत के बाद वह सक्रिय हो गई है…मैंने कुछ रिश्तेदारों से पूछा कि क्या वह अकेली पीड़िता नहीं है तो मैंने उसके रिश्तेदार के बारे में पूछा मैंने पड़ोसी के बारे में पूछा तो वह अनभिज्ञता जता रही थी। मैंने गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के बारे में पूछा. वह अनभिज्ञता दिखा रही थी और हर जवाब टालमटोल कर रहा था… 23 नवंबर को सुनवाई की अगली तारीख है और एक नई गवाह मनमोहन कौर आएगी…”