इलेक्शन कमीशन ने हरियाणा में सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसमें एक अक्टूबर को मतदान होगा और मतगणना चार अक्टूबर को होगी. वहीं बीजेपी इस बार लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए तैयारी कर रही है.
तो वहीं कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. हालांकि इस बार हरियाणा का चुनाव 2019 की तुलना में बेहद दिलचस्प होने जा रहा है.
हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं, जिनमें से बहुमत के लिए 46 सीटें हासिल करना जरुरी है. 2019 विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने जेजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और सरकार बनाई थी. लेकिन इस बार जेजेपी बीजेपी का साथ छोड़ चुकी है.
कौन होगा सीएम पद का चेहरा?
बता दें कि 2019 के चुनाव में बीजेपी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के चेहरे पर चुनाव लड़ा था. वहीं इस बार बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को सीएम फेस को तौर पर प्रोजेक्ट किया है. वहीं कांग्रेस ने किसी को भी सीएम पद का दावेदार नहीं बनाया था. हालांकि राज्य में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम आता है. पार्टी के टिकट वितरण में भी उनकी बड़ी भूमिका होती है. इस बार भी उनकी दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है.
क्या हैं जातीय समीकरण?
हरियाणा में जातीय समीकरण की बात करें तो, यहां की राजनीति में जाट बनाम गैर जाट का मुद्दा काफी हावी रहता है. सभी दलों के टिकट वितरण में भी इसका असर दिखाई देता है. बता दें कि 2014 में जब बीजेपी ने हरियाणा में सरकार बनाई थी तो उसने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया था.
इसके बाद 2019 में भी मनोहर लाला खट्टर को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. हालांकि इस साल मार्च में खट्टर को सीएम पद से हटा दिया गया था और एक और गैर जाट नेता नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया गया था. इस बार चुनाव में कांग्रेस की ओर से हुड्डा और बीजेपी की ओर से सैनी के आमने-सामने होने पर जाट बनाम गैर जाट की लड़ाई हो सकती है.
बदल गए राजनीतिक समीकरण?
2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें, जबकि बीजेपी को 47 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं 2019 में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. इस चुनाव में कांग्रेस ने 31 और बीजेपी ने 40 सीटों हासिल की थीं. जिसके बाद जेजेपी से मिलकर उसने सरकार बनाई थी. हालांकि इस बार बीजेपी अपने पुराने साथी को छोड़कर हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) से गठबंधन कर लिया है. वहीं कांग्रेस अकेले दम पर लड़ रही है. इन सबके बीच आम आदमी पार्टी भी हरियाणा विधानसभा चुनाव में ताल ठोंक रही है. ऐसा माना जा रहा है कि इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है.
चुनाव में इनेलो और जेजेपी की स्थिति?
दरअसल इलेनो इस बार अकेले चुनाव नहीं लड़ेगी, बल्कि उसने बसपा के साथ गठबंधन किया है. हालांकि जेजेपी ने कोई ऐलान नहीं किया है लेकिन पिछली बार अकेले चुनाव लड़कर उसने 10 सीटें हासिल की थी.
एचएलपी का कितना होगा असर
इस बार बीजेपी ने एचएलपी के साथ गठबंधन किया है. इसके मुखिया गोपाल कांडा एयर होस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड केस में आरोपी थे. 2019 में वह अपनी पार्टी से अकेले सिरसा विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. इस बार उन्होंने सिरसा और रानियां सीट पर अपना दावा ठोका है. यहां से उन्होंने अपने भतीजे धवल कांडा को उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है.
5 साल में बदल गए चुनावी मुद्दे
2019 से 2024 के बीच किसान आंदोलन एक बड़ा मुद्दा है. 2019 में हरियाणा के किसानों में बीजेपी का विरोध नहीं था लेकिन इस बार किसान लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के खिलाफ दिखाई दिए. अब इसका असर विधानसभा चुनाव में कितना होगा, ये देखने वाली बात होगी.