अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि एक ओर दावा किया जा रहा है कि प्रति व्यक्ति आय में हरियाणा देश में दूसरे नंबर पर है तो दूसरी ओर प्रदेश की कुल आबादी के 70 प्रतिशत परिवार बीपीएल कार्ड धारक है। हर कोई सरकार से एक ही सवाल कर रहा है कि 70 प्रतिशत परिवार बीपीएल की श्रेणी में कैसे आए। जो प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में दूसरे स्थान पर हो वहां बीपीएल परिवारों की संख्या बढ़ना अपने आप में एक सवाल है। सरकार को इस पर अपना जबाव जनता के समक्ष रखना चाहिए और यह भी बताना चाहिए कि सरकार कौन से खेल खेल रही है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि हरियाणा राज्य में 1.98 करोड़ लोगों के पास बीपीएल राशन कार्ड है। वहीं यह संख्या राज्य की 70 फीसदी आबादी के करीब हैं। एक तरफ तो हरियाणा के प्रति व्यक्ति की आय दूसरे नंबर पर हैं, तो वहीं इतनी बड़ी संख्या में बीपीएल कार्ड धारक कैसे बन गए। राज्य के पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम के अनुसार हरियाणा में बीते दो सालों के अंदर ही 75 लाख नए बीपीएल कार्ड धारक जुड गए, यह बड़ा आंकड़ा हैं और चौंकाने वाला भी हैं। बावजूद इसके हरियाणा को देश के समृद्ध राज्यों में से एक माना जाता हैं। दिसंबर 2022 तक 1.24 करोड़ लोग ही बीपीएल के दायरे में आते थे। लेकिन 2024 तक यह आंकड़ा काफी बढ़ गया। कुमारी सैलजा ने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि पहले लोकसभा चुनाव और बाद में विधानसभा चुनाव के कारण तेजी से कार्ड बनवाए गए, यही कारण था कि तेजी से आंकड़ बढ़ा हैं। शायद लाभार्थियों की बड़ी संख्या के कारण ही बीजेपी को हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करने का मौका मिला हैं।
कुमारी सैलजा ने कहा कि फरीदाबाद शहर की गिनती प्रदेश के विकसित और धनाड्य जिलों में होती है जहां पर सबसे ज्यादा 14.29 लाख, हिसार में 13.55 लाख, मेवात में 13.49 लाख और पंचकूला में सबसे कम 3.65 लाख बीपीएल परिवार है। कुमारी सैलजा ने कहा कि इस मुद्दा विधानसभा में भी उठा था पर सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, केवल जांच कराने की बात कहकर चुप्पी साध ली जबकि सरकार ने आज तक इसकी जांच नहीं करवाई और न ही इसके लिए कोई जांच कमेटी गठित की है। कुमारी सैलजा ने बताया कि ज्यादातर बीपीएल कार्ड चुनाव से पहले बने है यानि सरकार ने कही न कही लाभ लेने के लिए ऐसा तो नहीं किया कि जिसने भी आवदेन किया बिना जांच के उसका बीपीएल कार्ड बना दिया गया, इस खेल में बीपीएल कार्ड का जो असल हकदार था वह आज भी कार्ड बनवाने के लिए भटक रहा है। सरकार ने निष्पक्ष रूप से इसकी जांच करवाकर सच्चाई जनता के सामने लानी चाहिए और गरीबों से उनका निवाला छीनने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए।