मालदीव में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने 15 दिन का आपातकाल लगा दिया है। वहीं, भारत ने मालदीव के संकट पर चिंता व्यक्त की है और लोगों से कहा है कि जरूरी ना हो तो वहां की यात्रा पर ना जाएं। मालदीव के राष्ट्रपति यामीन ने आपातकाल का ऐलान सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच गहराते गतिरोध के बीच किया। बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव और चिंताओं के बावजूद राष्ट्रपति यामीन ने राजनैतिक कैदियों को रिहा करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करने से मना कर दिया।
अगली सूचना का इंतजार करें
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने सोमवार को ट्वीट किया और सभी नागरिकों से अपील की कि अगर जरूरी न हो तो मालदीव की यात्रा पर न जाएं। इसके साथ ही वे नागरिक जो पहले से मालदीव में मौजूद हैं, उन्हें अलर्ट रहने को कहा गया है। साथ ही उनसे यह अपील भी की गई है कि वे सार्वजनिक स्थलों पर जाने से बचें। विदेश मंत्रालय की मानें तो मालद्वीव के हालात भारत के लिए भी चिंता का विषय हैं और ऐसे में अगली सूचना तक सभी भारतीयों से आग्रह किया जाता है कि वे गैर-जरूरी सफर से बचें।
दूसरी बार आपातकाल का ऐलान
यह दूसरा मौका है जब यामीन ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की है. उन्होंने इससे पहले नवंबर 2015 में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी, जब उनकी कथित तौर पर हत्या किये जाने का प्रयास किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति को दो दिन के भीतर आपातकाल लगाने की घोषणा के बारे में संसद को सूचित करने की आवश्यकता है, लेकिन अधिकारियों ने देश की संसद को अनिश्चितकाल के लिये निलंबित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गत गुरुवार को 12 सांसदों की सदस्यता बहाल कर दी थी। ये सांसद यामीन की पार्टी से अलग होकर विपक्ष में शामिल हो गए थे. इससे 85 सदस्यीय संसद में विपक्ष का बहुमत हो गया था और राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाए जाने का खतरा मंडराने लगा था।