मध्य प्रदेश वन विभाग ने मिडघाट-बुधनी रेलवे ट्रैक पर तीन बाघ शावकों की मौत के मामले में उस ट्रेन को जब्त करने पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है। 14 जुलाई की रात हुई इस घटना में एक शावक की मौके पर मौत हो गई, जबकि बचे हुए दो शावक 15 दिनों के रेस्क्यू प्रयासों के बावजूद नहीं बच पाए।
निर्णायक कार्रवाई का दबाव
सूत्रों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के वन अधिकारी इस मामले में निर्णायक कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं। असम सरकार के अक्टूबर 2020 के फैसले का उदाहरण लेते हुए, जिसमें एक रेलवे इंजन को जब्त किया गया था जब एक हाथी और उसके बछड़े की मौत हो गई थी, मध्य प्रदेश के अधिकारी भी इस मामले में समान कार्रवाई की योजना बना रहे हैं।
त्रासदी का विश्लेषण
यह घटना वन अधिकारियों के लिए बड़ा झटका साबित हुई है। एक अधिकारी ने कहा, “यह एक ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। अगर असम ने हाथी और बछड़े की मौत पर इंजन जब्त किया, तो बाघ शावकों के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया जाना चाहिए?”
रेलवे की जिम्मेदारी
वन अधिकारी अब ट्रेन की पहचान कर रहे हैं और रेलवे द्वारा लागू किए गए शमन उपायों की निगरानी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जंगल से गुजरने वाली ट्रेनों की गति सीमा को लागू करना और शमन उपायों का पालन सुनिश्चित करना रेलवे की जिम्मेदारी है।
पिछले हादसे और वर्तमान स्थिति
सीहोर और रायसेन जिलों में पिछले नौ वर्षों में ट्रेन दुर्घटनाओं की वजह से आठ बाघ, 14 तेंदुए और एक भालू की मौत हो चुकी है। इस घटना ने वन्यजीव कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को रेलवे की जिम्मेदारी तय करने की मांग को लेकर जागरूक किया है।
भविष्य की योजना और कार्रवाई
वन विभाग ने पश्चिम मध्य रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक को पत्र लिखकर जांच की मांग की है और अनुपालन की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है। हालांकि, रेलवे ने अभी तक इस पैनल के लिए कोई नाम नहीं प्रस्तुत किया है। वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने लोको पायलटों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है और शावकों की मौत की जांच की भी अपील की है।
इस मामले ने मध्य प्रदेश वन विभाग को बाघों की सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाने की दिशा में प्रेरित किया है और यह वन्यजीव संरक्षण और रेलवे सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ बन गया है।