पिछले दिनों गर्मी से झुलस रही और पानी के लिए तरसती दिल्ली में गुरुवार देर रात और शुक्रवार सुबह रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई.
मौसम विभाग के मुताबिक़, शुक्रवार सुबह चार बजे से लेकर साढ़े आठ बजे तक अलग-अलग हिस्सों में 64 से लेकर 124 मिलीमीटर तक पानी गिरा.
कुछ इलाकों में बारिश 200 मिलीमीटर को पार कर गई. ये 1936 के बाद से दिल्ली में जून के महीने में एक दिन में हुई सर्वाधिक बारिश है.
कई इलाकों में पानी भर गया, रास्ते जाम हो गए, लोधी रोड जैसी पॉश कालोनी में सांसदों के बंगलों का सामान पानी में तैरने लगा.
लेकिन कुछ परिवारों पर ये बारिश क़हर बनकर टूटी. शुक्रवार को दिल्ली में, अलग-अलग घटनाओं में कम से कम चार लोगों की मौत बारिश की वजह से हुई.
अचानक हुई इस भारी बारिश ने दुनिया के सबसे व्यस्त एयरपोर्टों में शामिल दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 की छत को भी गिरा दिया.
ये ढांचा बारिश के इकट्ठा हुए पानी का दबाव नहीं झेल सका और नीचे खड़ी गाड़ियों पर गिर गया.
इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हुई और 8 लोग घायल हुए, जिनमें से कुछ को इलाज के बाद छुट्टी मिल गई.
सुबह मौत, परिवार को शाम को मिली जानकारी
पेशे से कैब ड्राइवर रमेश कुमार इस हादसे में मारे गए. पिछले क़रीब एक दशक से कैब चला रहे रमेश कुमार, रोज़ की तरह सुबह काम पर निकले थे. दिल्ली के रोहिणी इलाके में अपने चार बच्चों के परिवार के साथ रहने वाले रमेश कुमार किराये पर गाड़ी लेकर चला रहा थे.
सुबह क़रीब सात बजे, उनकी कार के मालिक उमेद सिंह को दिल्ली पुलिस की तरफ से फोन गया कि आपकी गाड़ी हादसे का शिकार हो गई है.
उमेद सिंह टर्मिनल एक की तरफ दौड़े, लेकिन सुरक्षा इंतज़ामों की वजह से घटनास्थल तक नहीं पहुंच सके.
उमेद सिंह कहते हैं, “मुझे रमेश की मौत की जानकारी मिली, लेकिन मैं उनकी लाश नहीं देख सका.”
हालांकि, रमेश के परिवार को उनकी मौत की जानकारी नहीं मिली थी.
रमेश के बेटे रविंदर सिंह बताते हैं, “सुबह करीब साढ़े आठ बजे दिल्ली पुलिस ने बताया था कि मेरे पिता बेहोश हो गए हैं.”
रमेश के परिवार को उनकी मौत का पता शाम क़रीब चार बजे लगा.
रविंदर रोते हुए कहते हैं, “दिल्ली पुलिस ने हमें मेरे पिता की मौत के बारे में नहीं बताया. मैं कई घंटों तक थाने में बैठा रहा. शाम चार बजे हमें बताया गया कि हमारे पिता की लाश सफदरजंग अस्पताल की मोर्चरी में रखी है.”
बीबीसी ने इस दौरान, दिल्ली पुलिस से रमेश की बॉडी के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गई.
शव को पहले एम्स के ट्रॉमा सेंटर लाया गया था. यहां मोर्चरी में बारिश का पानी भर गया था, इसलिए शव को इमरजेंसी में रखा गया.
लेकिन एम्स ट्रॉमा सेंटर के किसी अधिकारी ने रमेश की लाश अस्पताल में होने की बात स्वीकार नहीं की.
घायलों से मिले नागरिक उड्डयन मंत्री
दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 की छत चार गाड़ियों पर गिरी थी. इनमें से एक संतोष यादव की है.
घायल संतोष को एम्स के ट्रॉमा सेंटर लाया गया था जहां नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडु ने उनसे मुलाक़ात की.
संतोष कुमार को सर में चोट लगी है. संतोष खुशनसीब थे कि जब टर्मिनल वन की छत का हिस्सा गिरा तो वो कार से बाहर थे.
संतोष बताते हैं, “छत अचानक से गिरी, मैं बचने के लिए भागा, मेरे सर में चोट लग गयी, अगर मैं गाड़ी के भीतर होता तो शायद ना बच पाता.”
संतोष जिस गाड़ी से एयरपोर्ट आए थे वो छत गिरने से पूरी तरह बर्बाद हो गई. वो साक्षी ट्रैवल्स नाम की एक टैक्सी कंपनी के लिए काम करते हैं, जो भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय को टैक्सी सेवाएं प्रदान करती है. संतोष सेना के कुछ अफसरों को छोड़ने के लिए एयरपोर्ट आए थे.
उन्हें पहले टर्मिनल एक पर स्थित मेदांता मेडिसेंटर में भर्ती कराया गया और वहाँ से एम्स के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया. भारत के केंद्रीय उड्डयन मंत्री उनसे मुलाकात करने अस्पताल पहुंचे थे. संतोष बताते हैं कि मंत्री जी आए, हाल-चाल पूछा और चले गए.
बेटी की शादी की तैयारी कर रहे थे रमेश कुमार
इस हादसे में घायल अरविन्द एयरपोर्ट पर वार्ड बॉय का काम करते हैं. वह फिलहाल ईएसआई अस्पताल में भर्ती है. फ़ोन पर बात करते हुए वो इतना ही कह पाते हैं कि मेरे सिर में चोट लगी है मैं ज्यादा नहीं बोल पाऊंगा. अरविन्द को उनके सहयोगी कर्मचारियों ने अस्पताल में भर्ती कराया था.
टर्मिनल पर प्रबंधन से जुड़ें योगेश भी इस हादसे में घायल हुए. योगेश के भी सिर में चोट लगी है और वह फिलहाल अस्पताल में भर्ती है. वो ये कहते हुए बात करने से इनकार कर देते हैं कि वह स्वयं एयरपोर्ट के प्रबंधन का हिस्सा है.
हादसे में मारे गए रमेश कुमार का शव सफदरजंग अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया था. शनिवार दोपहर शव परिवार को सौंप दिया गया.
हालांकि, उनके बेटे रविंदर ये आरोप लगाते हैं कि उन्हें और उनके परिवार को पोस्टमार्टम से पहले पिता को देखने तक नहीं दिया गया. फिलहाल उनका परिवार अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा है.
मारे गए रमेश कुमार के साथ काम करने वाले उमेद सिंह कहते हैं कि रमेश अपनी बिटिया की शादी की तैयारी कर रहे थे और इसलिए ही दिन रात मेहनत कर रहे थे. फिलहाल उनका परिवार रोहिणी के विजय विहार में रहता है लेकिन यहाँ आने से पहले वो लंबे समय तक रोहिणी के ही सेक्टर 7 में रहे. जिस मकान में वह रहते थे उसके मालिक उन्हें एक मेहनती और पारिवारिक व्यक्ति के रूप में याद करते हैं.