नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। राजधानी दिल्ली में बारिश दौरान जलभराव का बिंदू बन चुका मिंटो ब्रिज करीब 90 साल पुराना है, वहां जलभराव की समस्या भी 66 साल पुरानी है। लुटियन दिल्ली का यह प्रवेश द्वार बारिश होते ही समुद्र बन जाता है।
इतना नहीं हर साल बारिश के दिनों में यहां कोई न कोई बस जरूर फंसती है।
पुल के नीचे इतना पानी भर जात है कि वहां से निकलना नामुमकिन है। इसलिए वाहन चालकों को कई किलोमीटर लंबा चक्कर काटकर आना पड़ता है। इन सब के बाद मन में ये सवाल तो क्यों हर साल इस पुल पर इतना अधिक जलभराव हो जाता है, क्यों आखिर इसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है। ब्रिज पानी से भरने से एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है।
90 साल पुरान पुल का इतिहास इस ब्रिज का नाम भारत के वायसराय रहे लॉर्ड मिंटो के नाम पर रखा गया था, जो सन 1905-1910 के मध्य रहे थे। कागजों पर मिंटो ब्रिज का नाम काफी पहले शिवाजी ब्रिज हो चुका है, लेकिन लोग अब भी इसे मिंटो ब्रिज के नाम से जानते हैं। जब एडविन लुटियन व बेकर जैसे नामचीन ब्रिटिश वास्तुकार नई दिल्ली का शानदार निर्माण कर रहे थे, उसी समय (सन1933) में लुटियंस दिल्ली की सीमा पर निर्मित 213 मीटर की ऊंचाई वाले इस रेलवे ब्रिज का निर्माण हुआ।
पुल के नीचे से गुजरने वाली सड़क काफी महत्वपूर्ण है। यह लुटियंस दिल्ली, कनॉट प्लेस को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (अजमेरी गेट की तरफ) व सिविक सेंटर, पहाड़गंज और आसपास के कई इलाकों को जोड़ता है। रोजाना हजारों की संख्या में वाहनों की आवाजाही लगी होती है। वहीं, ऊपर से रोजाना करीब 250 ट्रेनों का संचालन इसी ब्रिज से होता है। इस वजह से एक मिनट के लिए ब्रिज बंद नहीं होता है। जलभराव होते ही वाहनों के लिए ब्रिज बंद हो जाता है।
क्या है जलभराव की वजह मिंटो ब्रिज में पानी भरने की वजह इसकी गहरी ढलान है। इसमें कनाट प्लेस, स्वामी विवेकानंद मार्ग आसपास सभी संपर्क मार्ग का पानी बहकर यहां आता है। इसकी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, यहां का पानी पंपों की मदद से निकाला जाता है।
तेज बारिश जितना पानी पंपों से निकलता हैं, उससे कहीं अधिक पानी बहकर दोबारा से भर जाता है। 1967 में जल प्रवाह को रोकने के लिए ढलान को चौड़ा किया गया, लेकिन इससे कोई खास मदद नहीं मिली। 1980 के दशक में डीडीयू मार्ग के दोनों किनारों पर बरसाती पानी के लिए नालियां भी बनाई गयीं, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों है।
साल 2018 में जब दो डीटीसी बसें तिलब ब्रिज में डूब गईं और 10 लोगों को बचाव किया गया है। उसी समय दिल्ली कोर्ट ने सभी संबंधित एजेंसियों को आपस में कोआर्डिनेट करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक योजना बनाने का निर्देश दिया था। लेकिन आज तक इस समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं ढूंढा जा सका है।
एक की हो चुकी है मौत जुलाई 2020 में यहां बारिश के पानी से हुए जलभराव में एक व्यक्ति की डूबकर मौत हो गई थी। एक डीटीसी की बस ही डूब गई थी। मुश्किल से चालक और कंडक्टर को बचाया जा सका था।इस वजह से बारिश के मौसम में इस ब्रिज को कई बार बंद भी कर दिया जाता है।
दिल्ली में ब्रिटिश दौर व उसके बाद के समय में निर्मित अन्य कई पुलों का पुनर्निमाण हुआ, कई को चौड़ा भी किया गया, लेकिन साल 1933 बने मिंटो ब्रिज के ऐतिहासिक स्वरूप को देखते हुए, कोई बदलाव नहीं किया गया।