विज्ञान भवन में केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त और विकास निगम(एनयूसीएफडीसी) का उद्घाटन किया। इसका उद्देश्य शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को आधुनिक और मजबूत करना है।
‘शहरी-सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत करना लक्ष्य’
कार्यक्रम के संबोधन में अमित शाह ने कहा कि जब तक कॉरपोरेटरों के बीच सहकारिता में सहयोग नहीं होगा तब तक यह काम नहीं होगा। अपने पूरे जीवन में मैं कभी भी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक से नहीं जुड़ा था। हालांकि गुजरात संकट के दौरान मुझे काम करने का मौका मिला। अगर एक अंब्रेला संगठन मौजूद होता तो बैंकों को इतनी गिरावट का सामना नहीं करना पड़ता। 20 वर्षों के जद्दोजहद के बाद आज राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त और विकास सहयोग स्थापित हो गया है।
#WATCH | Union Home Minister and Minister of Cooperation Amit Shah launches National Urban Co-operative Finance and Development Corporation (NUCFDC), the Umbrella organisation for the Urban Cooperative banks.
He says, "Till the time there is no cooperation between corporators… pic.twitter.com/kJzoD7iwj2
— ANI (@ANI) March 2, 2024
एक शहर-एक सहकारी बैंक विकसित करेगा- अमित शाह
इस दौरान अमित शाह ने सहकारी बैंकों के सभी हितधारकों से बैंकिग क्षेत्र के विकास और आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की है। साथ ही अपने संबोधन के दौरान विश्वास जताया कि संगठन, वन टाउन- हमारे शहरी सहकारी बैंक, अभियान के तहत हर कस्बे में एक शहर-एक सहकारी बैंक विकसित करेगा। संबोधन में अमित शाह ने कहा कि इस संगठन की स्थापना आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहकार से समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी। मंत्रालय के मुताबिक, एनयूसीएफडीसी को गैर बैंकिंग वित्त कंपनी के रूप में कार्य करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पंजीकृत किया गया है।
शहरी सहकारी बैंकों के सहयोग से विकास संभव- अमित शाह
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने आने बढ़ने के लिए हितधारकों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों के सहयोग से देश का समावेशी आर्थिक विकास संभव है और इस आंदोलन को प्रभावी बनाने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा, कि यह अंतिम छोर तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि विकास के आकलन के लिए आंकड़े ही एक मात्रा जरिया नहीं है। यह महत्वपूर्ण है कि देश के विकास में बड़े स्तर पर लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो।