Semiconductor News: सेमीकंडक्टर सेक्टर में चीन और अमेरिका से मुकाबला करने और भविष्य में खुद को चिप सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत ने बड़े पैकेज की घोषणा की है। मोदी सरकार की तरफ से जारी विशाल पैकेज का मकसद भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने की है।
भारत सरकार की केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1.26 लाख करोड़ रुपये की लागत से तीन सेमीकंडक्टर बनाने वाले प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है। इस पैकेज का मकसद भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और विदेशों से चिप्स पर भारत की निर्भरता को कम करना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 100 दिनों में इन तीनों प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखे एक पोस्ट में कहा, कि “भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत 3 सेमीकंडक्टर इकाइयों को कैबिनेट की मंजूरी के साथ, हम तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में अपनी परिवर्तनकारी यात्रा को और मजबूत कर रहे हैं। इससे यह भी सुनिश्चित होगा, कि भारत सेमीकंडक्टर विनिर्माण में एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरेगा।” वहीं, बीजनेस स्टैंडर्ड ने अश्विनी वैष्णव के हवाले से कहा है, कि “आज प्रधानमंत्री ने देश में सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। पहला वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर फैब टाटा और पावरचिप-ताइवान द्वारा स्थापित किया जाएगा, जिसका प्लांट धोलेरा में होगा।”
आइये हम परियोजनाओं के बारे में क्या जानते हैं और समझते हैं, कि आखिर यह भारत के लिए बड़ी बात क्यों है?
क्या है सेमीकंडक्टर परियोजना?
जिन तीन सेमीकंडक्टर यूनिट्स की स्थापना होने वाली है, वो तीनों इकाइयां ‘डेवलपमेंट ऑफ सेमीकंडक्टर्स एंड डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम’ योजना के तहत स्थापित की जाएंगी। इस कार्यक्रम के तहत सरकार 76,000 करोड़ रुपये तक की फंडिंग प्रदान करती है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात के धोलेरा में ताइवान के पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प के साथ साझेदारी में एक सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करेगी। इस संयंत्र की क्षमता हर महीने 50,000 वेफर्स का उत्पादन करने की होगी और इसमें 91,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, एक वेफर में 5,000 चिप्स होते हैं। यानि, एक साल में 3 अरब चिप्स का निर्माण किया जाएगा।
अश्विनी वैष्णव ने कहा, कि धोलेरा में टाटा संयंत्र इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए 28nm टेक्नोलॉजी के साथ हाई परफॉर्मेंस वाले कंप्यूटर चिप्स का उत्पादन करेगा। इसके अलावा, टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (TSAT) 27,000 करोड़ रुपये के निवेश पर असम के मोरीगांव में एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करेगी। असम की यूनिट में ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और मोबाइल फोन के लिए प्रति दिन 48 मिलियन उत्पादन करने की क्षमता होगी। वहीं, सीजी पावर सेमीकंडक्टर यूनिट उपभोक्ता, औद्योगिक, ऑटोमोटिव और पावर एप्लीकेशन के लिए 15 मिलियन चिप्स का निर्माण करेगी। तीसरी इकाई मुंबई स्थित फर्म सीजी पावर द्वारा रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्प और थाईलैंड के स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के बीच साझेदारी के तहत स्थापित की जाएगी। यह प्लांट 7,600 करोड़ रुपये के निवेश से गुजरात के साणंद में स्थापित किया जाएगा। रेनेसास एक अग्रणी सेमीकंडक्टर कंपनी है, जो विशेष रूप से चिप्स का ही उत्पादन करती है। रेनेसास, 12 सेमीकंडक्टर सुविधाएं संचालित करता है और माइक्रोकंट्रोलर, एनालॉग, पावर और सिस्टम-ऑन-चिप (एसओसी) उत्पादों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, ये इकाइयां 50nm, 55nm और 90nm चिप्स का भी उत्पादन करेंगी। वैष्णव ने कहा, कि तीन इकाइयां 20,000 एडवांस टेक्नोलॉजी नौकरियों का प्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 60,000 अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेंगी। ये इकाइयां डाउनस्ट्रीम ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, दूरसंचार विनिर्माण, औद्योगिक विनिर्माण और अन्य सेमीकंडक्टर-उपभोक्ता उद्योगों में रोजगार सृजन में तेजी लाएंगी। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का भागीदार पीएसएमसी, जिसकी ताइवान में छह सेमीकंडक्टर फाउंड्री है, वो लॉजिक और मेमोरी फाउंड्री सेगमेंट में अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध है। यह हाई वोल्टेज, हाई करेंट एप्लीकेशन के लिए पावर मैनेजमेंट चिप्स का निर्माण करेगा। टीएसएटी सेमीकंडक्टर फ्लिप चिप और आईएसआईपी (पैकेज में एकीकृत प्रणाली) प्रौद्योगिकियों सहित स्वदेशी उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहा है। कैबिनेट ने जून में गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने के लिए यूएस-आधारित माइक्रोन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
मनीकंट्रोल के मुताबिक, केंद्र और गुजरात राज्य सरकार परियोजना की लागत का 70 फीसदी सब्सिडी दे रही है। वैष्णव ने कहा, कि माइक्रोन की साणंद इकाई का निर्माण तीव्र गति से चल रहा है और इकाई के पास एक मजबूत सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र उभर रहा है।
भारत के लिए क्यों है गेमचेंजिंग मौका?
ये मंजूरी भारत को दुनिया के लिए चिप निर्माता बनाने और ताइवान जैसे देशों पर निर्भरता कम करने की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षाओं का हिस्सा है। इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख में कैलिफोर्निया स्थित सेमीकंडक्टर लॉबी संगठन SEMI के आंकड़ों के हवाले से दिखाया गया है, कि दक्षिण कोरिया, ताइवान और चीन अकेले चिप विनिर्माण बाजार का 70 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं, जबकि अमेरिका और जापान का बाकी हिस्सा है। रिपोर्ट में इस पैकेज को भारत के सेमीकंडक्टर सेक्टर के लिए बड़ी छलांग बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, भारत की पिछली सरकारें तकनीकी दिग्गजों को भारत में आकर्षित करने में असमर्थ रहीं। खासकर इस वक्त, जब दुनिया में जियो-पॉलिटिक्स तनाव चरम पर है और अमेरिका और चीन आमने-सामने हैं, उस वक्त भविष्य का बाजार अनिश्चित लग रहा है। लिहाजा, भारत ऐसे वक्त में ना सिर्फ आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है, बल्कि ग्लोबल सप्लाई चेन को भी संभालने की कोशिश कर रहा है।