US-China Pacific Ocean: ताइवान पर चीनी आक्रमण रोकने के लिए अमेरिका ने प्रशांत महासागर में लंबी दूरी तक मार करने वाली और जमीन से ऑपरेच होने वाली मिसाइलों की दीवार बनाने की प्लानिंग तैयार की है और बाइडेन प्रशासन का ये काफी ज्यादा उत्तेजक कदम है, जो प्रशांत क्षेत्र में पारंपरिक मिसाइल हथियारों की रेस को भड़का सकता है।
डिफेंस वन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सेना के प्रशांत क्षेत्र के कमांडर जनरल चार्ल्स फ्लिन ने नोवा स्कोटिया में हैलिफ़ैक्स इंटरनेशल सिक्योरिटी फोरम में ऐलान किया है, कि अमेरिका 2024 में प्रशांत क्षेत्र में टॉमहॉक्स और SM-6 सहित नई मध्यम दूरी की मार करने वाली मिसाइलों की तैनाती की तैयारी शुरू कर चुका है।
मिसाइलों की तैनाती का क्या है मकसद?
अमेरिका प्रशांत क्षेत्र में मिसाइलों की दीवार बनाने में इसलिए कामयाब हो पा रहा है, क्योंकि वो रूस की वजह से साल 2019 में इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (आईएनएफ) संधि से पीछे हट गया था। अमेरिका इस संधि से इसलिए हट गया था, क्योंकि रूस ने इस संधि का जमकर उल्लंघन करना शुरू कर दिया था। डिफेंस वन की रिपोर्ट में कहा गया है, कि अमेरिकी सेना की प्रिसिजन स्ट्राइक मिसाइल (पीआरएसएम), जो 500 किलोमीटर से ज्यादा दूर के लक्ष्य पर हमला कर सकती है, उसे भी इस क्षेत्र में तैनात किया जा सकता है।
सिक्योरिटी फोरम को संबोधित करते हुए लिन क्षेत्र में चीन की सैन्य क्षमताओं के खतरे से आगाह किया है और बताया, कि चीन कितनी तेजी के साथ इस क्षेत्र में अपना सैन्य विस्तार कर रहा है। उन्होंने चीन की इस हरकत को वैश्विस खतरा करार दिया है। हालांकि, उन्होंने ताइवान पर चीनी आक्रमण के बारे में अटकलों से परहेज किया, लेकिन उन्होंने इस बात को माना, कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग का फैसला निर्णायक हो सकता है और इसके खिलाफ तैयारी करने की जरूत है।
चीन की शक्ति से परेशान हो रहा अमेरिका
डिफेंस वन का कहना है, कि अमेरिकी सेना की नई मिसाइलों की तैनाती प्रशांत क्षेत्र में एक रणनीतिक बदलाव का संकेत देती है, जो क्षेत्र में चीन के सैन्य विस्तार और आक्रामक व्यवहार पर बढ़ती चिंताओं को दर्शाती है। यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने और संभावित संघर्षों को रोकने के लिए एक व्यापक भू-राजनीतिक रणनीति का भी संकेत देता है। लिहाजा, प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की लंबी दूरी की मिसाइल परियोजनाएं चीन को रोकने के लिए जापान, ताइवान और फिलीपींस तक फैली फर्स्ट आइलैंड सीरिज में “मिसाइल दीवार” बनाने की रणनीति का हिस्सा हैं। जुलाई 2023 में, एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था, कि यूएस मरीन कॉर्प्स (USMC) ने अपने भूमि आधारित टॉमहॉक क्रूज मिसाइल लॉन्ग-रेंज फ़ायर लॉन्चर का अनावरण किया था, जो रिमोटली ऑपरेटेड ग्राउंड यूनिट फ़ॉर एक्सपेडिशनरी-फ़ायर (ROGUE-फ़ायर) वाहन पर आधारित एक अनक्रूड 4×4 लॉन्च वाहन है। यह लंबी दूरी का फायर लॉन्चर ट्रक से खींचे गए ओपफायर और टाइफॉन से जुड़े गतिशीलता अंतर को संबोधित कर सकता है, जो C-130 कार्गो विमान में फिट नहीं हो सकते हैं। वहीं, दिसंबर 2022 में एशिया टाइम्स ने अमेरिकी सेना द्वारा पहले टायफॉन भूमि-आधारित मिसाइल लांचर के अधिग्रहण पर रिपोर्ट दी थी, जिसे मानक SM-6 को फायर करके अमेरिकी सेना के PrSM और लंबी दूरी के हाइपरसोनिक हथियार (LRHW) के बीच अंतर को भरने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके अलावा, एशिया टाइम्स की जुलाई 2022 की एक रिपोर्ट में बताया गया था, कि यूएसएमसी अपने लॉन्ग-रेंज फायर प्रोग्राम के हिस्से के रूप में भूमि-आधारित टॉमहॉक मिसाइलों का अधिग्रहण कर रहा है, जिसका मकसद एकीकृत जमीन-आधारित एंटी-शिप और भूमि-हमला हथियार प्रणाली प्रदान करना है।
ये अधिग्रहण यूएसएमसी के बिखरे हुए संचालन सिद्धांत का हिस्सा है, जो विरोधी ताकतों की एकाग्रता को खतरे में डालने के लिए छोटी, बिखरी हुई भूमि और समुद्री टुकड़ियों को नियोजित करता है। हालांकि, आशंका इस बात को लेकर है, कि थाईलैंड, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे अमेरिकी सहयोगी देश, अमेरिका की “मिसाइल दीवार” रणनीति में भाग लेने से इनकार कर सकते हैं। थाईलैंड के राजनीतिक अभिजात वर्ग चीन के साथ मजबूत संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं और बीजिंग को रणनीतिक रूप से परेशान करने के लिए अनिच्छुक हैं। वहीं, फिलीपींस चीनी नौसैनिक नाकाबंदी के प्रति संवेदनशील है, जो गुआम से अमेरिकी आपूर्ति और सुदृढीकरण को काट रहा है और उसके पास न्यूनतम वायु और मिसाइल रक्षा क्षमताएं हैं।
जबकि, दक्षिण कोरिया चीनी दबाव के प्रति संवेदनशील है, क्योंकि उसे उत्तर कोरिया के साथ बातचीत की मेज पर चीन के बाजारों और प्रभाव की जरूरत है। ऑस्ट्रेलिया की चीन से दूरी और ताइवान पर अमेरिका-चीन संघर्ष में शामिल होने की अनिच्छा इसे अमेरिकी भूमि-आधारित मिसाइलों के लिए एक आधार विकल्प के रूप में रोक सकती है।