तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने गुरुवार को दस लंबित विधेयक विधानसभा को लौटा दिए। इनमें से दो पिछली अन्नाद्रमुक (AIADMK) सरकार की ओर से पारित किए गए थे। राज्य कानून विभाग के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है। दरअसल राज्यपाल की यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की ओर से उन पर और उनके पंजाब समकक्ष पर सख्त रुख अपनाने के कुछ दिनों बाद आई है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बिलों को मंजूरी देने में देरी के बारे में दो राज्य सरकारों (तमिलनाडु और पंजाब) की शिकायतें सुनी थीं। उधर, राज्यपाल के विधेयकों को लौटाने के बाद तमिलनाडु सरकार पलटवार के मूड में आ गई है। 18 नवंबर को तमिलनाडु विधानसभा की विशेष बैठक बुलाई गई है। इसमें प्रदेश सरकार उन्हें फिर से पारित कराने के लिए पूरी तरह तैयार है।
सरकार को लौटाएं 10 बिल
लंबित विधेयकों में से एक विधेयक राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्तियों में राज्यपाल के अधिकार पर रोक लगाता है। एक अन्य विधेयक में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (AIADMK) के पूर्व मंत्रियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के प्रावधान हैं। राज्यपाल के पास 12 विधेयक लंबित थे, जिनमें से 10 वापस लौटा दिए। इनमें से ज्यादातर राज्य के विश्वविद्यालयों से संबंधित हैं।
सरकार ने बुलाया विशेष सत्र
तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष एम अप्पावु ने 13 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। उम्मीद की जा रही है कि इसमें राज्यपाल द्वारा वापस भेजे गए विधेयकों को दोबारा पारित किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो राज्यपाल को इन विधेयकों को अनिवार्य रूप से पारित करना ही होगा। अध्यक्ष अप्पावु ने कहा कि सरकार ने विधेयकों को दोबारा पेश और पारित करने के लिए तमिलनाडु विधानसभा का ‘तत्काल’ सत्र बुलाने का फैसला लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल को दी थी नसीहत
तमिलनाडु सरकार की याचिका पर कोर्ट ने कहा था, “अनुच्छेद 200 के प्रावधान के तहत यदि राज्यपाल विधेयक को लेकर सहमत नहीं है तो उसे ‘जितनी जल्दी हो सके’ एक संदेश के साथ वापस लौटा दे, जिस पर सदन पुनर्विचार कर सकता है। यदि यह सदनों द्वारा पारित हो जाता है तो राज्यपाल अपनी सहमति को रोक नहीं सकते। ये गंभीर चिंता का विषय है।” तमिलनाडु सरकार राज्यपाल पर विधेयकों को मंजूरी देने में देरी करने और राज्य के विकास को बाधित करने का आरोप लगाती है।
इससे पहले राज्यपाल ने NET विधेयक को काफी समय तक लंबित रख लौटा दिया था। ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध से जुड़े एक विधेयक को भी राज्यपाल ने लौटा दिया था। राज्यपाल ने विधानसभा में एक भाषण के दौरान तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम नहीं पढ़े थे। ये भाषण सरकार ने उन्हें लिखकर दिया था।
सनातन धर्म और कई मसलों पर रहा राज्यपाल-सरकार में टकराव
इस बीच देखा जाए तो सनातन धर्म पर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणियों को लेकर भी राज्य में विवाद खड़ा हुआ था। राज्यपाल और सरकार के बीच इस मामले को लेकर टकराव पैदा हो गया था। इसके अलावा राज्यपाल ने सरकार की ओर से दिए गए लिखित भाषण को विधानसभा में पढ़ते वक्त बीआर अंबेडकर, ईवी पेरियार, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्रियों सीएन अन्नादुरई, के कामराज और के करुणानिधि के नामों को जिक्र करना जरूरी नहीं समझा था।
इसके बाद स्टालिन की सरकार ने बाद में राज्यपाल रवि के भाषण के अंश को औपचारिक रूप से रिकॉर्ड नहीं करने के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया था। इससे पहले, राज्यपाल ने सरकार की दुखती रग पर हाथ रखते हुए राज्य का नाम बदलकर थमिझागम करने का सुझाव दिया था।