Pakistan Airlines: पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स यानि पीआईए अन्ततः बिकने के लिए तैयार है। पाकिस्तान की अस्थायी सरकार में निजीकरण मामलों के मंत्री फवाद हसन फवाद ने एक पाकिस्तानी चैनल पर पीआईए के बिकने की खबर की पुष्टि की है। मंत्री के अनुसार कैबिनेट और प्राइम मिनिस्टर की मंजूरी मिल चुकी है। वित्त मंत्रालय ने भी आवश्यक मंजूरी दे दी है। अंतरराष्ट्रीय सलाहकार एजेंसियों की नियुक्ति के लिए भी विज्ञापन जारी किए गए थे, जिसमे 8 एजेंसियों ने अपनी रूचि दिखाई है। पाकिस्तान चुने हुए विदेशी सलाहकारों के जरिये ही अपनी एयरलाइन का मूल्यांकन करवाएगा।
पाकिस्तान सरकार फ़िलहाल सिर्फ अपनी एविएशन सेवा का ही निजीकरण करेगी। जिसमें उसके एयरक्राफ्ट और परिचालन लाइसेंस, विदेशी एयरपोर्ट की लैंडिंग राइट्स और रूट्स शामिल होंगे। पीआईए के इंजीनियरिंग सर्विस, फ्लाइट किचन सर्विस और कमर्शियल लैंड को अलग करने के लिए एक नई एंटिटी बनाई जाएगी। प्रस्तुत है जिन्ना की पहल से बनी इस एयरलाइन के बर्बाद होने की कहानी पर एक नजर।
जिन्ना की पहल
अभी पाकिस्तान का जन्म भी नहीं हुआ था कि जून 1946 में, मोहम्मद अली जिन्ना ने उद्योगपति एम.ए. इस्पहानी को कहा कि प्राथमिकता के आधार पर एक राष्ट्रीय एयरलाइन स्थापित करें। जिन्ना ने महसूस किया कि विभाजित पाकिस्तान के लिए एक तेज़ और कुशल विमान सेवा अनिवार्य है। ओरिएंट एयरवेज़ के नाम से 23 अक्टूबर 1946 को एक नई एयरलाइन का जन्म हुआ और मई 1947 में एक परिचालन लाइसेंस भी इसे मिल गया। चार डगलस डीसी-3 के साथ इसका परिचालन 4 जून 1947 को शुरू हुआ। इसका रूट था कलकत्ता- अक्याब- रंगून। इसके परिचालन की शुरुआत के दो महीने के भीतर ही पाकिस्तान का जन्म हुआ।
ओरिएंट एयरवेज ने पाकिस्तान सरकार द्वारा चार्टर्ड किए गए बीओएसी विमान की मदद से दोनों राजधानियों दिल्ली और कराची के बीच राहत अभियान और लोगों का परिवहन शुरू किया। इसके बाद, ओरिएंट एयरवेज ने अपना बेस पाकिस्तान में स्थानांतरित कर दिया और इसके जरिये ही पाकिस्तान की दोनों शाखाओं की दो राजधानियों कराची और ढाका के बीच एक महत्वपूर्ण लिंक स्थापित किया गया। पाकिस्तान बनने के बाद इस एयरलाइन ने कराची-लाहौर- पेशावर, कराची-क्वेटा- लाहौर और कराची-दिल्ली -कलकत्ता-ढाका के रूट पर चलना शुरू किया।
जब पीआईए सरकारी विमानन कंपनी बनी
ओरिएंट एयरवेज एक निजी स्वामित्व वाली विमानन कंपनी थी। जब पाकिस्तान सरकार ने एक राज्य के स्वामित्व वाली एयरलाइन बनाने का फैसला किया और 10 जनवरी, 1955 को पीआईए अध्यादेश 1955 के माध्यम से इसका अधिग्रहण कर एक नई एयरलाइन की स्थापना की। इसका नाम रखा गया पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स। 1955 में पीआईए ने पहली अंतरराष्ट्रीय सेवा काहिरा और रोम के माध्यम से लंदन के लिए शुरू की। 1959 में, पाकिस्तान सरकार ने एयर कमोडोर नूर खान को पीआईए का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया। विमानन क्षेत्र में, इस अवधि को अक्सर पकिस्तान के लोग “पीआईए के स्वर्णिम वर्ष” कहते हैं। मार्च 1960 में, पीआईए ने लंदन-कराची-ढाका मार्ग पर अपनी पहली बोइंग 707 जेट सेवा शुरू की। पीआईए जेट विमान संचालित करने वाली पहली एशियाई एयरलाइन बन गई। 1961 में, पीआईए ने कराची से न्यूयॉर्क तक क्रॉस-अटलांटिक सेवा भी शुरू कर दी। पीआईए का दावा है कि 1962 में, ऊपरी हवाओं के पूर्वानुमान को अनुकूल पाते हुए उसने लंदन और कराची की दूरी केवल 6 घंटे, 43 मिनट, 51 सेकंड में पूरी कर ली। यह रिकॉर्ड आज तक नहीं टूटा है।
भारत के साथ युद्ध में पीआईए की भूमिका
1965 के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान पीआईए ने बोइंग, सुपर कॉन्स्टेलेशन और विस्काउंट्स का उपयोग करके विशेष उड़ानें संचालित करके सशस्त्र बलों को रसद पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई। 1965 के युद्ध के दौरान, पीआईए एयर मार्शल असगर खान के नेतृत्व में काम कर रही थी – जिन्हें आधुनिक पाकिस्तान एयर फ़ोर्स का जनक भी कहा जाता है। भारत के साथ युद्ध के समय पीआईए के बोइंग बेड़े और उनके चालक दल ने विदेशों से युद्ध आपूर्ति की जिम्मेदारी संभाली।
पाकिस्तान के तोपखाने में गोला-बारूद की भारी कमी थी, ऐसे में पीआईए में अपने पांच पुराने प्रोपेलर-चालित लॉकहीड मार्टिन सुपर कॉन्स्टेलेशन, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 25 टन थी, को ईरान और तुर्की में आपूर्ति मिशन पर भेजा था। यहां तक कि मध्यम दूरी के विकर्स विस्काउंट को भी युद्ध के लिए सेवा में लगाया गया। ज़मीन पर, पीआईए इंजीनियरिंग विभाग के कर्मियों ने पीएएफ को उसके विमानों की मरम्मत में भी मदद की।