चंडीगढ़।
मिहिर भोज विवाद मामला।
अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के पत्रकार वार्ता।
अध्यक्ष अनुराग गुज्जर का बयान।
वर्ण के हिसाब से क्षत्रिय में कई जातियां है।
सरकार ने जो कमेटी गठित की है। उस पर हमें एतराज है।
हमारा प्रतिनिधि भी होना चाहिए।
आचार्य विक्रम वीरेंद्रर का बयान
इतिहास भावी पीढ़ियों को प्रेणना देता है। इसलिए सही तरीके से इतिहास पढ़ाना चाहिए।
इतिहास किसी भी देश कि दरोहर होती है।
इतिहास वही होता जो शिलालेखों, विदेशी पर्यटकों के अनुसार होता है।
क्षत्रिय जाति नही वर्ण है।
जाति जन्म से मिलती है।
जन्म से सभी शुद्र होते है।
घ्यान से वर्ण तय होता है।
वर्ण व्यवस्था कर्म के आधार पर होती है।
गुज्जर भी छत्रिय है।
जब को गुण ग्रहण करता रहता है, तो वर्ण बदलता रहता है।
वही जब उसका पतन शुरू होता है। तो वरना बदल जाता है।
9वीं शताब्दी में मिहिर भोज प्रतिहार का साम्राज्य है।
दुनिया के शोध के अनुसार मिरहिर भोज गुजार थे।
गुज्जर के साम्राज्य का नाम है।
विदेशी पर्यटको ने भी उन्हें गुजार कहा है।
राजस्थान में 9वीं शताब्दी के मीले एक शिलालेख में भी गुज्जर प्रतिहार लिखा है।
ये एक पूरातात्विक तथ्य है।
आजकल कुछ लोग सच्चाई को छिपाने में जोर लगा रही है।
गुज्जर को शोध कर जाती नही साबित करना चाहते है।
गुजरात भी गुज्जरों का प्रांत है। पाकिस्तान में भी गुजरात है।
भड़ोच के शिलालेख में भी गुज्जर नरपति वंश का जिक्र है।
चीनी यात्री व्हेन सांग ने भी अपनी पुस्तक में गुज्जर अतित्व को माना है।
1191 में पृथ्वी राज चौहान की हार हुई। तब भी गुज्जर थे।
18वीं सदी में राजस्थान का नाम राजपुताना कहना शुरू हुआ।
गुज्जरों का इतिहास बहुत मजबूत है।
न्यायालय में भी हमारी जीत होगी।
कुछ लोग गुर्जर को देश बताकर भ्रम फैला रही है।
इसिहास में स्थापित तथ्यों के अनुसार