One Nation One Election: एक राष्ट्र एक चुनाव के मसौदे पर तेजी से काम किया जा रहा है। 23 सितंबर को हाल ही में वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए केंद्र सरकार की बनाई हाई लेवल कमेटी की पहली बैठक हुई। वहीं अब विधि आयोग का भी इस पर बयान सामने आया है।
लॉ कमिशन ने शुक्रवार को कहा कि एक राष्ट्- एक चुनाव पर रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के संबंध में परामर्श के लिए अभी कुछ और मीटिंग की जरूरत होगी।
भारत के विधि आयोग ने कहा, “हमारा मानना है कि कुछ संवैधानिक संशोधन एक राष्ट्र एक चुनाव की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाएंगे। जैसा कि विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है, वन नेशन वन इलेक्शन का एक बड़ा लाभ यह होगा कि लोग अपने नेताओं को अधिक बुद्धिमानी से चुनेंगे।”
आगे कहा गया कि क्योंकि चुनाव पर्याप्त समय के बाद ही होंगे और इसलिए लोग ना केवल बड़ी संख्या में वोट देने के लिए बाहर आएंगे। बल्कि बहुत समझदारी से मतदान भी करेंगे।’
चुनाव आयोग से विचार-विमर्श जारी
एक राष्ट्र-एक चुनाव को लेकर विधि आयोग ने कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रभावी होने का एक और बड़ा कारण यह है कि इससे बहुत सारे वित्त की बचत होगी और सुरक्षा बलों की निरंतर तैनाती होगी। हमने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया है, जो चुनाव के मामले में अंततः कार्यकारी निकाय है। ईसीआई का विचार है कि यदि आवश्यक समय दिया जाए, तो वह ऐसी चुनावी प्रक्रिया को लागू और क्रियान्वित कर सकता है।”
रिपोर्ट की अभी कोई डेडलाइन नहीं
इससे पहले 27 सितंबर को भारतीय विधि आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने कहा था कि अभी हमने रिपोर्ट (वन नेशन, वन इलेक्शन) को अंतिम रूप नहीं दिया है और कोई संभावित तिथि नहीं दी है। वन नेशन, वन इलेक्शन पर और काम होना है और अभी हम रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रहे हैं।