Sharad Pawar: एक अगस्त को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पुणे में मंच साझा किया था। उस समय विपक्ष ने शरद पवार पर सवाल उठाया था। लेकिन अब अमित शाह ने अपने पुणे दौरे के दौरान न केवल अजित पवार की जमकर प्रशंसा की है बल्कि शरद पवार के करीबी जयंत पाटिल से भी गुप्त मुलाकात की है। इसके बाद एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म है। हालांकि जयंत पाटील और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस दोनों ने ऐसी किसी मुलाकात से इंकार किया है।
रविवार को पुणे में अमित शाह ने कहा कि “अजीत पवार के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद मैं उनके साथ मंच पर पहली बार कार्यक्रम कर रहा हूं। मैं उनसे कहना चाहूंगा, दादा आप बहुत समय बाद सही जगह पर बैठे हैं। यह जगह सही थी लेकिन आपने बहुत देर कर दी।” अमित शाह के इस बयान के बारे में कहा जा रहा है कि अभी महाराष्ट्र के कई बड़े नेता भी मोदी के समर्थन में एनडीए में साथ आ सकते हैं, शायद इसमें सबसे बड़ा नाम शरद पवार का हो। अजीत पवार ने भी अमित शाह की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि अमित शाह गुजरात से आते हैं, लेकिन उन्हें महाराष्ट्र ज्यादा पसंद है। अजित पवार ने कहा कि ”अमित शाह महाराष्ट्र के दामाद हैं। दामाद को ससुराल वाले ज्यादा प्यारे लगते हैं।” अजीत पवार के इस बयान ने विपक्ष के कान खड़े कर दिए हैं।
दरअसल विपक्षी नेताओं के विरोध के बाद भी शरद पवार द्वारा मोदी के साथ मंच साझा करने से महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और कांग्रेस की बैचेनी बढ़ी है। विपक्षी एकता की पहली बैठक 23 जून को पटना में और दूसरी बैठक बेंगलुरू में 18 जुलाई को हुई थी। विपक्षी एकता की तीसरी बैठक महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की मेजबानी में कांग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस के समर्थन से मुम्बई के ग्रेंड हयात होटल में 31 अगस्त और 1 सिंतबर को होने की संभावना है। हालांकि बैठक की तारीखों की घोषणा अभी नहीं हुई है।
मुम्बई में होने वाले विपक्षी दलों के महाजुटान के पहले शरद पवार के रूख को लेकर सभी आशंकित है। खबर है कि महाराष्ट्र में विधानसभा में विपक्ष के नेता पद पर कांग्रेस के विजय वेट्टीवार को नियुक्त करने के निर्णय से शरद पवार असहमत थे। शरद पवार चाहते थे कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में फूट के बाद भी कांग्रेस विपक्ष के नेता का पद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पास रहने दे। शरद पवार ने इसके लिए अपने करीबी जितेन्द्र आव्हाड का नाम आगे बढ़ाया था और उसके लिए कांग्रेस का समर्थन मांगा था। लेकिन कांग्रेस ने विधानसभा में सबसे बड़ा दल होने के नाते शरद पवार की मांग को ठुकरा दिया था और अजीत पवार की बगावत के बाद खाली हुए विपक्ष के नेता का पद अपने पास रखने का निर्णय लिया था।
कांग्रेस द्वारा विपक्ष के नेता का पद अपने पास रखने के निर्णय के बाद शरद पवार ने कांग्रेस के नेताओं से कहा था कि विपक्ष का नेता मराठा और पश्चिम महाराष्ट्र से होना चाहिए जिससे अजीत पवार को चुनौती दी जा सके। कांग्रेस ने शरद पवार की यह सलाह भी नहीं मानी और विदर्भ के ओबीसी नेता विजय वेट्टीवार को विपक्ष का नेता बना दिया। शरद पवार इस बात पर नाराज हैं कि कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले भी विदर्भ से आते है और विपक्ष का नेता भी विदर्भ से है। ऐसे में क्षेत्रीय संतुलन नहीें बन रहा है।
इसके अलावा कांग्रेस और शरद पवार के बीच मतभेद की वजह अब तक महाविकास अघाड़ी में शामिल रही समाजवादी पार्टी का गठबंधन से बाहर होना है। समाजवादी पार्टी अघाड़ी से अलग होकर किसान नेता एवं पूर्व सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व में बने तीसरे गठबंधन में शामिल हो गयी है। कांग्रेस को इस बात का शक है कि राजू शेट्टी के तीसरे मोर्चे को पर्दे के पीछे से शरद पवार का समर्थन हासिल है। महाराष्ट्र में पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने ‘प्रागतिक विचार मंच’ के नाम से एक नया गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में राज्य के अधिकांश छोटे दल शामिल हो गये हैं। इस गठबंधन की वजह से राज्य में मौजूद एमवीए को नुकसान होना तय है।
राजू शेट्टी के नए मंच में स्वाभिमानी किसान संघ, शेकाप, स्वराज्य पार्टी, आम आदमी पार्टी, लाल निशान ग्रुप, बहुजन विकास अघाड़ी, समाजवादी पार्टी, जनता दल, सत्यशोधक कम्युनिस्ट पार्टी, बहुजन रिपब्लिकन सोशलिस्ट पार्टी, सीपीआई, सीपीआई (एम) आदि दलों ने शामिल होने की तैयारी दर्शाई है। कांग्रेस नेताओं को इस बात का शक है कि राजू शेट्टी के इस प्रयोग के पीछे शरद पवार है और शरद पवार राजू शेट्टी को आगे कर कांग्रेस को कमजोर करना चाहते हैं। हालांकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने साफ कहा है कि इसके पीछे राष्ट्रवादी पार्टी का हाथ होने का आरोप लगाना हास्यापद है।
कांग्रेस के अलावा उद्धव ठाकरे भी शरद पवार को शक की नजर से देख रहे हैं। शरद पवार ने घोषणा की थी कि अजीत पवार के साथ जाने वाले विधायकों को सबक सिखाने के लिए वह उद्धव को साथ लेकर पूरे महाराष्ट्र का दौरा करेंगे लेकिन नासिक के येवला में रैली करने के बाद शरद पवार ने आगे कोई रैली न करने का निर्णय लिया है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने नासिक के येवला की रैली से बागियों पर निशाना साधा था। हालांकि, येवला की रैली के बाद शरद पवार ने कोई रैली नहीं की और न ही अजीत पवार गुट पर निशाना साधा। इसके अलावा शरद पवार और अजित पवार गुट के विधायक मानसून सत्र में एक साथ चर्चा करते नजर आए और शरद पवार गुट के विधायकों ने अजित पवार के साथ बैठक भी की थी। कांग्रेस और उद्धव ठाकरे भी शरद पवार से जानना चाहते हैं कि वो अजित पवार गुट के खिलाफ कोई ठोस रुख क्यों नहीं अपना रहे हैं?
महाराष्ट्र भाजपा के एक बड़े नेता का कहना है कि शरद पवार फिलहाल दोनों नावों पर पैर रखकर चल रहे हैं। वह अंदरखाने अजित के साथ हैं और ऊपरी तौर पर भाजपा का विरोध कर रहे हैं। शरद पवार मंझे हुए मराठा नेता हैं। समय आने पर जिसका पलड़ा भारी होगा, उसकी नाव में शामिल हो जाएंगे। शरद पवार की राजनीति को करीब से देखने वाले उद्धव ठाकरे और कांग्रेस दोनों इस बात से वाफिक हैं कि शरद पवार कभी भी कोई भी निर्णय ले सकते हैं। इसलिए सियासी गलियारों में यह सवाल तैर रहा है कि शरद पवार की अगली गुगली क्या होगी?
महाराष्ट्र में एनसीपी भले ही टूट गई हो लेकिन अजित पवार की शरद पवार से मुलाकात और महाराष्ट्र विधानसभा में अजित पवार गुट के नेता सुनील तटकरे और शरद पवार के करीबी जयंत पाटिल की मुलाकात और बैठकों के कारण एनसीपी आपस में मिली हुई नजर आ रही है। भाजपा की भी पूरी कोशिश महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन की बैठक से पहले या बाद में शरद पवार को अजित पवार के साथ खड़ा करने की है।
महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अजित पवार के मुख्यमंत्री बनने पर शरद पवार भाजपा का विरोध छोड़कर अजित पवार के साथ हाथ मिला लेंगे। शरद पवार और अजीत पवार दोनों एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद से हटाकर अजीत पवार को मुख्यमंत्री बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। कयास कोई कुछ भी लगाये लेकिन शरद पवार क्या कर रहे हैं और क्या निर्णय लेनेवाले हैं, यह उनके अलावा कोई नहीं जानता।