भारत, फ्रांस से 26 राफेल फाइटर जेट और तीन 3 स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियां खरीदने की योजना बना रहा है। माना जा रहा है कि फ्रांस के साथ इस डील की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान हो सकती है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा बलों की ओर से यह प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को सौंप दिया गया है, जिसका ऐलान पीएम मोदी के इसी हफ्ते फ्रांस दौरे के समय किया जा सकता है। इस प्रस्ताव के मुताबिक भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीट राफेल मरीन एयरक्राफ्ट मिलेगा। इसके अलावा उसे चार ट्रेनर एयरक्राफ्ट दिए जाने का भी प्रस्ताव है।
भारतीय नौसेना को राफेल मरीन एयरक्राफ्ट की जरूरत
भारतीय नौसेना देश की सुरक्षा चुनौतियों को देखते इस तरह के लड़ाकू विमान और पनडुब्बियों की तत्काल उपलब्धता पर जोर देती रही है। क्योंकि, फिलहाल वह इसकी किल्लत का सामना कर रही है। विमान वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत अभी मिग-29 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन, उसे दोनों जंगी जहाजों के लिए राफेल की आवश्यकता है।
90,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की होगी डील
हालांकि, तीन स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां नौसेना को प्रोजेक्ट 75 के हिस्से के तौर रिपीट क्लॉज के तहत मिलेंगी, जिन्हें मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड में बनाया जाएगा। इसके लिए 90,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की डील होने का अनुमान है, लेकिन अंतिम लागत का अंदाजा करार के दौरान ही लग पाएगा। पीएम मोदी 13-14 जुलाई को फ्रांस की यात्रा पर जा रहे है।
फ्रांस दौरे पर जा रहे हैं पीएम मोदी
पीएम मोदी को 14 जुलाई को फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस बैस्टिल डे परेड समारोह में गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह एक दुर्लभ मौका है, क्योंकि फ्रांस हर साल बैस्टिल डे परेड में विदेशी गणमान्य अतिथियों को आमंत्रित नहीं करता है।
मेक इन इंडिया पहल पर जोर देगा भारत
वैसे सूत्रों का कहना है कि भारत डील में कीमतों पर रियायत की मांग करेगा और इस बात पर भी जोर देगा कि इस डील को ज्यादा से ज्यादा मेक-इन-इंडिया पहल के तहत पूरा किया जाए। इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि राफेल मरीन डील के लिए भारत और फ्रांस के बीच सौदा तय करने के लिए एक संयुक्त टीम बनाए जाने की संभावना है। पहले भी 36 राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट की डील के दौरान इसी तरह की पहल की जा चुकी है।
इन प्रस्तावों पर रक्षा मंत्रालय में पहले ही उच्च-स्तरीय बैठकों में चर्चा हो चुकी है। अगले कुछ दिनों में इसे रक्षा अधिग्रहण परिषद के सामने रखे जाने की संभावना है। जिसपर फ्रांस में घोषणा से पहले सरकार की ओर से इसकी आवश्यकता की मंजूरी दिए जाने की उम्मीद है। (इनपुट-एएनआई)