मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.
इस दौरान मथुरा कटरा केशव देव परिसर स्थित कुएं की बाउंड्री का सर्वे कमिश्नर भेजने की अर्जी मथुरा अदालत द्वारा खारिज करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई हुई. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि विपक्ष के आदेश 7 नियम 11की अर्जी तय करने में साक्ष्य नहीं देखे जाते. कानूनी उपबंधों पर विचार किया जाता है. हाईकोर्ट ने मथुरा कृष्ण जन्मभूमि संबंधी सभी सिविल वादों का ट्रायल हाईकोर्ट में करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि याची ने विपक्षी की वाद की पोषणीयता की अर्जी पर आपत्ति की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था, चुनौती दी गई है.
कोर्ट ने कहा कि अलग से सर्वे की अर्जी नहीं दी है, वह दे सकता है.
अदालत के आदेश में अवैधानिकता नहीं है. केसों का ट्रायल हाईकोर्ट में करने का आदेश है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी ने चुनौती दी है. हाईकोर्ट को अपने ही कोर्ट का अनुच्छेद 227 में सुपरवाइजरी क्षेत्राधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर याचिका खारिज कर दी है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की ओर से याचिका दाखिल की गई थी.
क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद?
काशी और मथुरा का विवाद भी कुछ-कुछ अयोध्या की तरह ही है. हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी. औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था. इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई.
मथुरा का ये विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है.
दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया गया है. हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और ये जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है.