नई दिल्ली। देश में रियलिटी कारोबार में पारदर्शिता लाने तथा उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा से जुड़ी आठ वर्ष पहले शुरू की गयी प्रक्रिया कल से कानून के रूप में प्रभावी हो रही है जिसके तहत इस उद्योग के लिए एक नियामक तथा अपीलीय न्यायाधिकरण भी बनाये जाने है।
बहुप्रतीक्षित एवं चर्चित रियल एस्टेट (नियमन एवं विकास) अधिनियम 2016 रविवार से प्रभावी हो रहा है। इसके लिए सरकार ने गत बुधवार को इस अधिनियम की 92 में से 69 धाराओं को अधिसूचित किया था। इसके जरिये देश के इस उद्योग को विश्वसनीय, सक्षम और समय पर परियोजनाओं को पूर्ण करने के लिए उत्तरदायी बनाया जा रहा है।
जनवरी 2009 में सबसे पहले राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के हाउङ्क्षसग मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए कानून बनाने का प्रस्ताव किया गया था। तब से यह मामला चल रहा था। संसद से पारित होने के बाद इसे कानून का रूप देने के लिए जारी अधिसूचना के अनुसार 31 अक्टूबर 2016 तक राज्यों और केन्द्र सरकार को इस अधिनियम के तहत नियम बनाने होंगे। केन्द्रीय शहरी एवं गरीब उन्मूलन मंत्रालय केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए तथा शहरी विकास मंत्रालय दिल्ली के लिए नियम बनायेगा।
उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए एक वर्ष के भीतर रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण बनाये जाने हैं जहाँ सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं का पंजीयन किया जायेगा। उपभोक्ताओं और रियलटी कंपनियों की शिकायतें 60 दिन के भीतर हल की जायेंगी और कंपनियों को 15 महीने में परियोजनाएँ पूरी करनी होंगी। इसके साथ ही एक वर्ष के भीतर अपीलीय न्यायाधीकरण भी बनाये जाने हैं और न्यायाधिकरण को 60 दिनों के भीतर दावों का निपटान करना होगा।