Rajasthan Politics: राजस्थान में अशोक गहलोत की पहचान सियासी दांवपेच में माहिर नेता की रही है। सियासी अखाड़े में उनके दांव के सामने अच्छे-अच्छे से नहीं टिक पाते है, इसलिए उन्हें ‘जादूगर’ भी कहा जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर एक आम चर्चा है कि जब भी राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं कर पाते है तो उन्हें दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी दी जाती रही है।
ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि पार्टी अशोक गहलोत राष्ट्रीय महासचिव का पद दे सकती है। हाल ही में दिल्ली प्रवास के दौरान उनकी कांग्रेस के कई बड़े नेताओं से मुलाकात हुई। जिसके बाद से सियासी चर्चाएं तेज हो गई है।
गांधी परिवार के भरोसेमंद नेता माने जाते है गहलोत
अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक कांग्रेस की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया। इतना ही नहीं वो हर दशक में गांधी परिवार के सबसे वफादार और भरोसेमंद ग्रुप के नेताओं में शामिल रहे है। पार्टी में अशोक गहलोत को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनावों में हुई हार के बावजूद भी गहलोत का कद घटने की बजाय बढ़ सकता है।
मिली सकती है ये बड़ी जिम्मेदारी
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अशोक गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष या फिर राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है। ऐसे में कोई भी पद अगर गहलोत को मिलता है तो वे दिल्ली से ही अब राजनीति करने वाले हैं। हालांकि अशोक गहलोत ने पहले भी कई बार क्लियर किया है कि वो राजस्थान में रहकर ही राजनीति करेंगे।