स्कूल में 96 छात्राओं के लिए सिर्फ एक गेस्ट टीचर की नियुक्ति की गई है। उसी टीचर पर सभी क्लास की छात्राओं को पढ़ाने, स्कूल का रिकॉर्ड मेंटेन करने, मीटिंग्स में जाने व मिड डे मील तक की जिम्मेदारी है। सिरसा के कालांवली से आई यह खबर बताती है कि बीजेपी सरकार ने प्रदेश के शिक्षा तंत्र की क्या हालत बना दी है। क्योंकि सिर्फ कालांवली में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों का यही हाल है।
हुड्डा ने बताया कि प्रदेश के 28 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी विद्यार्थी नहीं है। 262 ऐसे स्कूल हैं, जहां सिर्फ 1 से लेकर 10 तक ही विद्यार्थी हैं। 520 ऐसे स्कूल हैं, जहां 11 से लेकर 20 तक ही विद्यार्थी हैं। 8 मिडिल स्कूल ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या शून्य है। 12 स्कूल ऐसे हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या 1 से 10 है और 73 ऐसे हैं जहां संख्या मात्र 11 से 20 है। एक हाई स्कूल भी ऐसा है, जहां एक भी विद्यार्थी नहीं है। यह आंकड़े चीख-चीख कर बीजेपी सरकार की शिक्षा नीति की पोल खोल रहे हैं।
बीजेपी ने हरियाणा के सरकारी शिक्षा तंत्र का बंटाधार कर दिया है। इसके चलते सरकारी शिक्षण संस्थानों से विद्यार्थियों की संख्या घट रही है और उनपर ताले लगाए जा रहे हैं। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पिछले साल के मुकाबले इसबार भी 27,000 कम दाखिले हुए हैं। जबकि अगर सरकार की शिक्षा नीति बेहतर होती तो इन दाखिलों में इजाफा होना चाहिए था। लेकिन सरकार जानबूझकर ऐसी नीतियां बना रही है, जिसके चलते लगातार शिक्षा निजी हाथों में जा रही है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकारी स्कूलों में दलित, पिछड़े वर्ग, गरीब व किसान वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन बीजेपी इन वर्गों को हरेक सुविधा और शिक्षा से वंचित करना चाहती है। इसीलिए नए स्कूल बनाना तो दूर, बीजेपी सरकार पहले से स्थापित स्कूलों में बिजली, पानी, टॉयलेट और बैठने के लिए बैंच तक मुहैया नहीं करवा रही है।
सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत से नाराज होकर पिछले दिनों हाई कोर्ट ने बीजेपी-जेजेपी सरकार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। सरकार द्वारा हाई कोर्ट में दिए गए हलफनामे से पता चलता है कि आज हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने का पानी तक नहीं है। 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया। हर घर शौचालय का नारा देने वाली सरकार ने 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए एक भी शौचालय नहीं बनवाया। 1047 स्कूलों में तो लड़कों के लिए भी शौचालय नहीं है। छात्रों के लिए स्कूलों में 8240 और क्लासरूम की जरूरत है। यही वजह है कि सरकारी स्कूलों में ड्रॉप आउट विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
आज भी खुद शिक्षा मंत्री मानते हैं कि स्कूलों में टीचर्स की भारी कमी है और ड्रॉप आउट रेट बहुत ज्यादा है। बावजूद इसके सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। बीजेपी को बताना चाहिए कि 10 साल से सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी ने स्कूलों की हालत सुधारने के लिए क्या किया? बीजेपी ने सत्ता में आते ही टीचर्स और खासकर जेबीटी टीचर्स की भर्तियां क्यों बंद कर दी? इस सरकार ने 10 साल में अब तक एक भी जेबीटी की भर्ती क्यों नहीं की? क्यों साल से शिक्षा विभाग में करीब 50 हजार पद खाली पड़े हुए हैं? क्यों कॉलेजों में 4738 सहायक प्रोफेसर्स के पद खाली पड़े हुए हैं? क्यों प्रदेश सरकार शिक्षा पर जीडीपी का महज 2% खर्च करती है, जबकि नई शिक्षा नीति 6% खर्च करने की सिफारिश करती है?
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था स्थापित की थी। इसके लिए महेंद्रगढ़ में केंद्रीय विश्वविद्यालय बनवाया गया था था। प्रदेस में 12 नए सरकारी विश्वविद्यालय बनवाए, 154 नए पॉलिटेक्निक कॉलेज, 56 नए आईटीआई, 4 नए सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज खोले गए थे। बाबा साहेब अंबेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बनाई। प्रदेश में आईआईएम, आईआईटी एक्सटेंशन, ट्रिपल आईटी कैंपस जैसे राष्ट्रीय स्तर के दर्जनभर संस्थान स्थापित करवाए थे। साथ ही राजीव गांधी एजुकेशन सोसाइटी सोनीपत में बनवाई, जिसमें देश की कई प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी बनी हैं।
हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान 2623 नए स्कूल बनाए गए, 1 नया सैनिक स्कूल रेवाड़ी, 6 नए केंद्रीय विद्यालय बनवाए और हर जिले में DIET खोले थे। कांग्रेस ने 25000 जेबीटी, 25000 टीजीटी-पीजीटी, स्कूल स्टाफ, 50000 यूनिर्वसिटी, इंस्टिट्यूट स्टाफ समेत शिक्षा विभाग में 1 लाख से अधिक नौकरियां दी थीं। जबकि बीजेपी सरकार में करीब 50 हजार पक्के पद खाली पड़े हुए हैं।