Rajasthan News: भजनलाल सरकार द्वारा हाल ही में राज्य में 450 से अधिक सरकारी हिंदी माध्यम स्कूलों को बंद या मर्ज करने का फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है। सरकार ने इसे छात्रों के हित में लिया गया एक बड़ा कदम बताया है, जो शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है।
वहीं, अब भजनलाल सरकार के इस फैसले की गूंज राजस्थान से बाहर दिल्ली तक सुनाई दे रही है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इसे मुद्दा बनाते हुए कहा कि अगर दिल्ली में बीजेपी सत्ता में आती है, तो यहां भी सरकारी स्कूलों को बंद किया जा सकता है।
दिल्ली चुनाव में भी गूंजा मामला
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने एक्स हैंडल पर लिखते हुए कहा कि बहुत मेहनत से दिल्ली के स्कूलों को ठीक किया है। ये लोग आ गए तो दिल्ली के सरकारी स्कूल बंद कर देंगे और स्कूलों की ज़मीनें अपने दोस्त को दे देंगे। ग़लत बटन मत दबा देना। नहीं तो आपके बच्चों का भविष्य ख़राब हो जाएगा।
छात्रों की संख्या बंद का कारण
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस निर्णय पर सफाई देते हुए कहा कि कई स्कूलों में छात्रों की संख्या बेहद कम थी। कुछ स्कूलों में छात्र संख्या शून्य थी, जबकि कुछ में यह केवल 5-10 तक सीमित थी। ऐसे में इन स्कूलों को बंद करने या समीपवर्ती स्कूलों में विलय करना आवश्यक हो गया।
उन्होंने कहा था कि हमने यह निर्णय छात्रों के हित में लिया है। कई जगहों पर दो स्कूल पास-पास थे, उन्हें मिलाने से शिक्षकों और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन संभव हो पाया है।
क्या है सरकार का तर्क?
सरकार का कहना है कि स्कूलों को मर्ज करने से शिक्षकों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे छात्रों को पढ़ाई में अधिक मदद मिल रही है। वहीं, संसाधनों का उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से हो पा रहा है। छोटे स्कूलों को मर्ज करके बड़े और बेहतर प्रबंधन वाले संस्थान बनाए गए हैं।
हालांकि, इस फैसले पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस और अन्य दलों ने इसे ग्रामीण और बालिका शिक्षा के खिलाफ उठाया गया कदम बताया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि यह निर्णय शिक्षा के अधिकार कानून के खिलाफ है और बेटियों को शिक्षा से दूर करने की साजिश है।
साथ ही कुछ क्षेत्रों में इस फैसले का विरोध भी देखा गया है। जोधपुर, बीकानेर, चित्तौड़गढ़ और ब्यावर में छात्राओं ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया, जबकि कई अन्य जिलों में अभिभावकों ने स्कूलों के विलय को लेकर चिंता जताई है।
हिंदी स्कूलों पर हो चुका है निर्णय
गौरतबल है कि राजस्थान में हाल ही में 450 हिंदी माध्यम स्कूल बंद किए गए थे। शिक्षा विभाग के मुताबिक, इनमें से 260 स्कूलों को चार दिन पहले बंद किया गया है। शेष 190 स्कूल पहले ही बंद कर दिए गए थे। इन स्कूलों में छात्रों की संख्या बेहद कम थी। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा था कि कुछ स्कूलों में छात्रों की संख्या नगण्य थी। एक ही कैंपस में तीन-तीन स्कूल चल रहे थे। इसलिए इनका मर्जर किया गया है। इससे शिक्षकों और संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।