पूर्व सांसद और झारखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजॉय कुमार ने मोदी सरकार की जीएसटी में व्याप्त खामियों को आंकड़ों के साथ उजागर किया। हरियाणा कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अजॉय कुमार ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टैक्स नीति को गरीब, मिडिल क्लास और किसान विरोधी करार दिया।
उन्होंने कहा कि इतने साल बाद भी ना जनता को जीएसटी का कोई लाभ हुआ और ना ही किसी को ये टैक्स समझ आया। जनता के लिए जीएसटी का मतलब ‘गब्बर सिंह टैक्स’ हो गया है। यह गरीब, मध्यम वर्ग और छोटे व्यवसायियों पर बोझ बन गया है। मोदी सरकार ने एक देश, एक टैक्स का वादा किया था, लेकिन ये सरकार किसी भी वस्तू पर एक टैक्स नहीं लगा पाई। पॉपकॉर्न जैसी चीजों पर तीन अलग-अलग टैक्स लगाया गया है।
GST की सबसे बड़ी खामी यह है कि 64% बोझ गरीब और मध्यम वर्ग पर पड़ता है, जबकि केवल 3% अमीर वर्ग पर पड़ता है। आंकड़े बताते हैं कि ये सरकार केवल अमीरों को लाभ पहुंचा रही है और इसकी नीतियां देश के छोटे व्यवसायों और किसानों को बर्बाद कर रही हैं। मोदी सरकार में इनकम टैक्स और जीएसटी कलेक्शन कार्पोरेट टैक्स से काफी ज्यादा है। मतलब बड़े-बड़े पूंजीपति आज आप से कम टैक्स दे रहे हैं।
हीं, आटा, दही, दवाई, पढ़ाई और यहां तक कि पॉपकॉर्न और पुरानी गाड़ी बेचने पर भी जमकर जबरन GST वसूला जा रहा है। औसतन कलेक्शन का 64% हिस्सा देश की आर्थिक रूप से निचली आधी आबादी मतलब बॉटम-50% से आता है। GST का केवल 3% शीर्ष 10% से आता है। यह गरीबों पर लगने वाला टैक्स है जो बढ़ता ही जा रहा है। इस भार का सबसे ख़राब प्रभाव मध्यम वर्ग और गरीबों पर पड़ रहा है। लोग भोजन और शिक्षा जैसी आवश्यक वस्तुओं पर कम खर्च कर रहे हैं। खासतौर से बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण जीवन और स्वास्थ्य बीमा जैसी आवश्यक सेवाओं पर GST रेट 18% है।
इसी जबरदस्त टैक्स, कमरतोड़ महंगाई, बेरोजगारी, कम आय, के कारण उपभोग में भारी गिरावट आई है। यही नहीं, आज लोग भविष्य की बचत से खर्च करने को मजबूर हैं। घरेलू बचत 50 साल के सबसे निचले स्तर पर है। जेवर गिरवी रखने वालों की संख्या करीब 50% बढ़ गई है। लोग ऋण चुकाने में असमर्थ हैं और डिफ़ॉल्ट में 30% की वृद्धि हुई है। भाजपा की असंवेदनशील सरकार का युवा विरोधी चरित्र सामने है कि आज नौकरियों के फार्म फीस पर भी 18% GST लिया जा रहा है। मोदी सरकार गरीबों से टैक्स वसूली का जश्न मनाती है पर जब अमीरों की बात आती है, तो कॉर्पोरेट टैक्स घटाकर पूंजीपतियों का 4.5 लाख करोड़ का लाभ पहुंचाती है।
डॉ अजॉय ने कहा कि GST इतना कॉम्पलेक्स है कि पॉपकॉर्न पर तीन दरें: 5%, 12% और 18% लगाई गई हैं। यह Good and Simple Tax के सिद्धांत के ही विपरीत है।
अजॉय कुमार ने कहा कि इतनी सारी दरों ने ना सिर्फ उपभोक्ताओं को भ्रमित किया है बल्कि छोटे व्यवसायों के लिए काम करना मुश्किल कर दिया है। बड़े उद्योगपति और करोड़पति भी देश छोड़कर जा रहे हैं और अन्य देशों की नागरिकता ले रहे हैं।