Assam Beef Ban: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में गोमांस की खपत और बिक्री को लेकर बड़ा फैसला लिया है। बुधवार, 4 दिसंबर को उन्होंने घोषणा की कि अब राज्य के किसी भी रेस्तरां, होटल, सार्वजनिक स्थान, या समारोह में गोमांस परोसने और खाने पर पूरी तरह रोक लगाई जाएगी। इस फैसले ने राज्य में राजनीतिक और सामाजिक बहस को तेज कर दिया है।
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, “पहले हमने सिर्फ मंदिरों के आसपास गोमांस खाने पर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन, अब हमने इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया है। अब आप किसी भी सामुदायिक या सार्वजनिक स्थान, होटल, या रेस्तरां में गोमांस नहीं खा सकेंगे।” उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कदम का उद्देश्य धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना और सामाजिक सद्भाव बनाए रखना है।
गोमांस प्रतिबंध पर राजनीतिक विवाद
इस फैसले के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। असम के मंत्री पीयूष हजारिका ने कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा, “अगर कांग्रेस गोमांस प्रतिबंध का समर्थन नहीं करती, तो उन्हें पाकिस्तान जाकर बस जाना चाहिए।” मुख्यमंत्री सरमा ने इससे पहले बयान दिया था कि अगर, असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा लिखित रूप से गोमांस प्रतिबंध की मांग करेंगे, तो वे इसे लागू करने के लिए तैयार हैं। यह बयान भाजपा और कांग्रेस के बीच जारी बहस का हिस्सा था, जहां गोमांस की राजनीति को लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं।
असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 2021 का संदर्भ
असम में गोमांस पर प्रतिबंध का कानूनी आधार असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 2021 है। यह कानून उन क्षेत्रों में मवेशी वध और गोमांस की बिक्री पर रोक लगाता है, जहां हिंदू, जैन, और सिख बहुसंख्यक हैं। साथ ही, किसी मंदिर या वैष्णव मठ के पांच किलोमीटर के दायरे में गोमांस बेचना या खाना प्रतिबंधित है। सरमा ने इस कानून का दायरा अब पूरे राज्य में बढ़ा दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को प्राथमिकता दे रही है।
कांग्रेस पर सरमा का हमला
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की हार पर तंज कसते हुए कहा कि “सामागुरी” जैसे क्षेत्र में कांग्रेस की हार उसके इतिहास की सबसे बड़ी हार है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस ने गोमांस की पेशकश के जरिए मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की थी। आपको बता दें कि पिछले महीने हुए उपचुनाव में भाजपा ने सामगुरी विधानसभा सीट जीतकर कांग्रेस को हराया था। यह सीट पहले 25 वर्षों तक कांग्रेस के कब्जे में थी।
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गोमांस प्रतिबंध के सामाजिक और धार्मिक प्रभाव
यह प्रतिबंध असम की धार्मिक और सांस्कृतिक संरचना को ध्यान में रखकर लागू किया गया है। राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम धार्मिक सहिष्णुता और सामुदायिक शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
हालांकि, इस फैसले को लेकर असम में मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दलों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह निर्णय व्यक्तिगत खाद्य आदतों और अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता में दखल है। असम सरकार का यह फैसला राज्य में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, इसका राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव दीर्घकालिक होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले पर जनता और विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया कैसी रहती है।