Vladimir Putin India Visit: क्रेमलिन ने कहा है, कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2025 की शुरुआत में भारत का दौरा करेंगे। भारत में रूसी दूतावास ने क्रेमलिन के सहयोगी यूरी उशाकोव के हवाले से कहा है, कि पुतिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत आने का निमंत्रण मिला है और यह यात्रा 2025 की शुरुआत में तय की जाएगी।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन के सहयोगी उशाकोव ने आगे कहा, कि भले ही वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन आयोजित करने की बारी रूस की है, लेकिन क्रेमलिन भारत के निमंत्रण पर विचार करेगा।
समाचार एजेंसी के मुताबिक उषाकोव ने कहा, “हमारे नेताओं के बीच साल में एक बार बैठक आयोजित करने का समझौता है। इस बार हमारी बारी है। हमें श्री मोदी का निमंत्रण मिला है और हम निश्चित रूप से इस पर सकारात्मक रूप से विचार करेंगे। हम अगले साल की शुरुआत में संभावित तिथियों का पता लगा लेंगे।”
जियो-पॉलिटिक्स में भारत की ‘चाल’
भले ही पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर पुतिन के युद्ध को लेकर रूस को अलग-थलग करने पर जोर दिया हो, लेकिन ग्लोबल साउथ के अधिकांश देशों के साथ रूस की भागीदारी जारी रही है, जो इस साल की शुरुआत में रूस द्वारा आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सबसे महत्वपूर्ण रूप से प्रदर्शित हुई।
यूक्रेन युद्ध के बाद भले ही पुतिन ने कई देशों का दौरा किया है, जिनमें चीन भी शामिल है, फिर भी उनका भारत दौरा कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है, भारत इस क्षेत्र में चीन या रूसी ‘उपग्रह राज्यों’ के बाहर पहला देश होगा, जहां वह दौरा करेंगे। भारत के पश्चिमी देशों के साथ काफी अच्छे संबंध हैं, लेकिन रूस के साथ दोस्ती पर उनका एतराज भी रहा है। वहीं, रूस भले ही ऐतिहासिक साझेदार रहा हो, लेकिन हाल के वर्षों में अमेरिका और पश्चिम के साथ भारत के संबंध बेहतर हुए हैं। इसका मतलब यह है, कि भारत ने पश्चिम की आलोचनाओं के बीच रूस के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाया है। हाल के महीनों में भारत ने रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता में भूमिका निभाने का भी संकेत दिया है। रिपोर्टों में कहा गया है कि मोदी की रूस और यूक्रेन की यात्रा, जिसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की रूस यात्रा, चल रहे युद्ध से संबंधित एक बड़ी पहल का हिस्सा थी। वहीं, अब जबकि डोनाल्ड ट्रंप के अगले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने की उम्मीद है, तो कम से कम अमेरिका की ओर से रूस के साथ संबंधों पर विरोध कम होने की उम्मीद है, क्योंकि उन्हें पुतिन और रूस के साथ मित्रवत माना जाता है।