झारखंड में मतदान की तारीख नजदीक आते ही बीजेपी ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है. चंपई सोरेन के बाद अब बीजेपी के पोस्टर से अर्जुन मुंडा और बाबू लाल मरांडी भी गायब हो गए हैं. मरांडी और मुंडा के पोस्टर से गायब होने को लेकर झारखंड में एक साथ कई चर्चाएं चल रही हैं.
बाबू लाल मरांडी झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और अब तक उन्हें सीएम फेस बताया जा रहा था, लेकिन बीजेपी ने मेनिफेस्टो को लेकर जो पोस्टर जारी किया है, उसमें न तो मरांडी हैं और न ही पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा.
बीजेपी पोस्टर का लुक बदला
बीजेपी ने जो पोस्टर जारी किया है, उसका लुक बदल गया है. पोस्टर में कमल फूल चिह्न के साथ सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जगह दी गई है. वोटों की अपील को लेकर बनाए गए इस पोस्टर में बेटी, रोटी और माटी का ख्याल रखने की बात कही गई है.
पोस्टर में उन योजनाओं का जिक्र किया गया है, जो सरकार आने पर बीजेपी लागू करेगी. इस पोस्टर का थीम भाजपा का प्रण है. बीजेपी ने इसी नाम से अपना मेनिफेस्टो भी झारखंड में जारी किया है.
इससे पहले 19 सितंबर को बीजेपी ने एक पोस्टर जारी किया था. इस पोस्टर का थीम परिवर्तन था. इस पोस्टर में नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा के साथ-साथ बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और अमर कुमार बाउरी को जगह दी गई थी.
अमर कुमार बाउरी वर्तमान में झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं.
पोस्टर से क्यों गायब हो गए मरांडी?
बीजेपी के नए पोस्टर से बाबू लाल मरांडी का गायब हो जाना सबसे ज्यादा सुर्खियों का विषय है. बाबू लाल मरांडी प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ-साथ सीएम पद के भी दावेदार हैं. हर पोस्टर में मरांडी खुद रहते हैं. ऐसे में इस पोस्टर से आखिर मरांडी क्यों हट गए?
1. बीजेपी से जुड़े सू्त्रों का कहना है बाबू लाल मरांडी वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष हैं और मुख्यमंत्री के दावेदार हैं. अगर पार्टी प्रधानमंत्री के साथ-साथ मरांडी की तस्वीर को पोस्टर पर जगह देती तो यह संदेश साफ जाता कि मरांडी ही सीएम का चेहरा हैं. बीजेपी झारखंड में बिना किसी सीएम फेस के मैदान में उतरने की रणनीति पर काम कर रही है.
पार्टी को डर है कि अगर एक चेहरा पर चुनाव में जाते हैं तो बैकफायर हो सकता है. छत्तीसगढ़ और ओडिशा की रणनीति से बीजेपी झारखंड में जीतने की कवायद कर रही है, इसलिए पोस्टर से मरांडी गायब हो गए हैं.
2. झारखंड में भारतीय जनता पार्टी ने बेसिक ग्राउंड तैयार कर लिया है. पार्टी ने नामांकन के बाद के सभी बगावत को बड़े स्तर पर रोक लिया है. पार्टी की कोशिश अब स्थानीय चेहरे की बजाय केंद्रीय चेहरे पर लड़ने की है, इसलिए बीजेपी ने मोदी के चेहरे को आगे किया है. बीजेपी के बड़े नेता इसलिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सीधा हमला नहीं कर रहे हैं.
बीजेपी मुद्दे और परिवर्तन के नाम पर चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने झारखंड के लिए घुसपैठ और भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया है.
3. लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की पूरी कमान बाबू लाल मरांडी के पास ही थी, लेकिन इसके बावजूद मरांडी आदिवासी इलाकों में कमाल नहीं कर पाए. झारखंड की आदिवासी बहुल 5 सीटों पर इंडिया गठबंधन ने जीत हासिल कर ली.
झारखंड में आदिवासी वोटरों को साधने के लिए इसके बाद बीजेपी दूसरी रणनीति पर काम कर रही है. झारखंड में करीब 26 प्रतिशत आदिवासी मतदाता रहते हैं.
4. बीजेपी के एक धड़े का कहना है कि झारखंड के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल कर लोकसभा में जो इमेज का डैमेज हुआ, उसे पार्टी कंट्रोल करना चाहती है, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को आगे किया गया है.
पोस्टर के सियासी संदेश भी समझिए
बीजेपी ने झारखंड में मोदी के चेहरे को आगे किया है. यानी अब राज्य में सीएम फेस कोई नहीं है. अब तक जिन राज्यों में मोदी के चेहरे पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. उन राज्यों में सीएम के दावेदारों को कुर्सी नहीं मिली है.
राजस्थान से ओडिशा और त्रिपुरा से लेकर मध्य प्रदेश तक इसका उदाहरण है. ऐसे में कहा जा रहा है कि झारखंड में अगर बीजेपी की सरकार आती है तो किसी नए चेहरे को सीएम की कुर्सी सौंपी जा सकती है.
वर्तमान में बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, चंपई सोरेन के साथ-साथ अमर कुमार बाउरी सीएम पद के दावेदार हैं.