8 अक्टूबर का दिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए जीत का जश्न था और कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत का मार्ग प्रशस्त किया और कांग्रेस की उम्मीदों पर एक बार फिर पानी फेर दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस पर जाति के आधार पर समाज को बांटने की साजिश रचने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस जातिवाद और सांप्रदायिक आधार पर चुनाव लड़ती है. हिंदू समाज को बांटकर अपनी जीत की रणनीति बनाना कांग्रेस की राजनीति का आधार है. कांग्रेस की पूरी व्यवस्था और शहरी नक्सलियों का गैंग जनता को गुमराह करने में जुटा रहा. उन्होंने दलितों के बीच झूठ फैलाने की कोशिश की, लेकिन दलित समुदाय ने उनकी खतरनाक मंशा को भांप लिया. दलितों ने समझ लिया कि कांग्रेस उनके आरक्षण को छीनकर उनका वोट बैंक बांटना चाहती थी.’
जमीनी काम बनाम सोशल मीडिया का शोर
हरियाणा चुनाव में कई मुद्दे सोशल मीडिया पर छाए रहे, जैसे कि बेरोजगारी, किसानों का गुस्सा, और जाट समुदाय का बीजेपी से नाराज होना. लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद इन सभी मुद्दों की हवा निकल गई. कांग्रेस को भरोसा था कि इस बार चुनाव उनके पक्ष में जाएगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने 5-5 सीटें जीती थीं. इस स्थिति को देखकर कांग्रेस ने मान लिया था कि विधानसभा चुनाव में भी यही समीकरण रहेगा और वे आसानी से जीत जाएंगे.
कांग्रेस की यह ओवरकॉन्फिडेंस बीजेपी के लिए वरदान साबित हुई. बीजेपी ने महीन चुनाव प्रबंधन की रणनीति अपनाई और बूथ स्तर तक का ध्यान रखा. जब चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को यह बताया गया कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी है, तो उन्होंने खुद हरियाणा के बूथ कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया. इस संवाद ने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया और इसका परिणाम बीजेपी की जीत के रूप में सामने आया.
जाट बनाम गैर-जाट चुनाव
बीजेपी ने इस बार जाट उम्मीदवारों की संख्या घटाकर केवल 14 कर दी और अन्य जातियों जैसे ओबीसी, ब्राह्मण, पंजाबी और कायस्थ उम्मीदवारों पर ध्यान केंद्रित किया. कांग्रेस का पूरा फोकस जाट वोटों पर था, लेकिन बीजेपी ने अन्य जातियों के वोटों को अपने पक्ष में कर लिया. हरियाणा के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों जैसे असंध, पुंडरी, अंबाला छावनी में मुकाबला कड़ा था. वहीं, निर्दलीय और बागियों ने कांग्रेस की राह और मुश्किल कर दी, जिन्होंने 11.66% वोट हासिल किए, जबकि आईएनएलडी-बीएसपी गठबंधन ने लगभग 6% वोट हासिल किए.
बीजेपी की यह रणनीति जाट बनाम गैर-जाट के चुनावी मुकाबले में बदल गई. प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सहित बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने घर-घर जाकर प्रचार किया और पार्टी कार्यकर्ताओं को हर बूथ जीतने का मंत्र दिया. बीजेपी ने बूथ-स्तरीय कार्यक्रमों पर जोर दिया, जैसे ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’.
प्रधानमंत्री मोदी का मंत्र – बूथ जीतो, चुनाव जीतो
बीजेपी की रणनीति यह थी कि अगर बूथ जीतते हैं, तो चुनाव जीत जाते हैं. इसी सोच के तहत बीजेपी ने हरियाणा चुनाव के लिए बूथ-स्तरीय कार्यक्रम चलाए. शक्ति केंद्रों का गठन किया गया और ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया गया. 26 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमो ऐप के जरिए हरियाणा के 4,000 केंद्रों पर मौजूद बूथ कार्यकर्ताओं से बात की. प्रधानमंत्री ने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि हर बूथ पर कमल खिलना चाहिए और कांग्रेस के झूठ का करारा जवाब देना चाहिए.
धर्मेंद्र प्रधान का योगदान
बीजेपी की इस जीत में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का भी अहम योगदान रहा. यह इस साल दूसरी बार है जब धर्मेंद्र प्रधान ने बीजेपी को राज्य चुनाव में बड़ी जीत दिलाई. इससे पहले प्रधान ने ओडिशा में बीजेपी को पहली बार सरकार बनाने में मदद की थी. हरियाणा में भी धर्मेंद्र प्रधान ने रोहतक, पंचकूला और कुरुक्षेत्र जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर काम किया. उन्होंने स्थानीय कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क किया, उनकी समस्याएं सुनीं और उनका समाधान किया.
प्रधान ने पार्टी के भीतर के झगड़ों को भी सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जब उम्मीदवारों की सूची जारी की गई थी तब पार्टी के कई बागी सामने आए थे, लेकिन प्रधान की रणनीति से पार्टी ने समय रहते स्थिति को संभाल लिया. नामांकन वापसी के समय तक केवल तीन बागी ही बचे थे, जो बीजेपी के लिए कोई गंभीर समस्या नहीं बने.
प्रधानमंत्री मोदी ने जहां कार्यकर्ताओं को काम करने का तरीका बताया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने हरियाणा बीजेपी के बूथ कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत की तारीफ भी की. प्रधानमंत्री ने हरियाणा के कुछ मेहनती कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से बात की और उनके अनुभवों को भी साझा किया.
कुल मिलाकर बीजेपी की सूक्ष्म प्रबंधन, जमीनी काम और बूथ-स्तरीय मजबूत रणनीति के कारण हरियाणा में जीत हुई, जबकि कांग्रेस की जातिगत राजनीति और ओवरकॉन्फिडेंस उसे भारी पड़ी.