लखनऊः उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने सूबे की योगी सरकार और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव को अपनी ताकत का अहसास कराने का फैसला कर लिया है.
जिसके तहत उन्होने छह सीटों पर पार्टी के कैंडिडेट्स का ऐलान कर दिया है. जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की योगी सरकार और सपा ने अभी तक एक भी सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किया हैं.
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जरूर यह संकेत किया है कि वह अयोध्या, अंबेडकरनगर, कानपुर, कन्नौज, बिजनौर अलीगढ़ आदि सीटों पर सांसद बने नेताओं के परिवारीजनों और पार्टी के पुराने नेताओं को चुनाव मैदान में उतारेंगी. वही मायावती ने मझवा, मिल्कीपुर, फूलपुर, मीरापुर, कटेहरी और सीसामऊ आदि सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिए हैं.
बसपा के चुनाव मैदान में उतारे यह उम्मीदवार
उपचुनाव से अमूमन दूरी बनाए रखने वाली मायावती ने उपचुनाव वाली छह सीटों पर उम्मीदवार कर भाजपा और सपा के सियासी समीकरण गडबड़ा दिए हैं. जबकि अपनी सियासी ताकत का अहसास कराने के लिए मायावती ने अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर पार्टी के पुराने चेहरे पर दांव खेलते हुए राम गोपाल कोरी को उम्मीदवार बनाया है.
जबकि मीरापुर सीट पर मायावती ने आजाद समाज पार्टी चीफ चंद्रशेखर आजाद के करीबी शाह नजर को उम्मीदवार बनाया है. इसी प्रकार मायावती ने अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट से अमित वर्मा और फूलपुर विधानसभा सीट पर शिवबरन पासी को प्रत्याशी बनाया है. मिर्जापुर जिले की मझवा विधानसभा सीट पर मायावती ने ब्राह्मण कार्ड चला है.
बसपा ने दीपू तिवारी को मझवा सीट पर प्रभारी बनाया है. माना जा रहा है कि उनका टिकट फाइनल है. जबकि कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर बसपा ने बीआर अहिरवार को प्रत्याशी बनाया गया है. सीसामऊ विधानसभा सामान्य सीट है. मायावती ने अनरिजर्व सीट पर दलित प्रत्याशी उतारकर बड़ा सियासी दांव चला है.
इन सीटों पर होना है उपचुनाव
यूपी की जिन दस सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से पांच सीट पर सपा के विधायक थे तो तीन सीट पर भाजपा का कब्जा था. इसके अलावा निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के एक-एक विधायक थे. बीते लोकसभा चुनावों में मिल्कीपुर, कटेहरी, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवा, खैर और मीरापुर विधानसभा सीट पर चुनाव जीते विधायक सांसद बन गए थे.
इस कारण उक्त सीटों पर उपचुनाव हो रही है. कानपुर की सीसामऊ सीट से विधायक रहे इरफान सोलंकी को अदालत से सजा होने के चलते उपचुनाव होना हैं. इन 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव का ट्रेलर माना जा रहा है.
जिसके चलते ही मायावती ने इन चुनावों में अपने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले को अजमाते हुए सपा और भाजपा को अपनी ताकत का अहसास कराने के फैसला करते हुए अपने उम्मीदवारों का चयन किया है. यह करते हुए मायावती ने अपने कोर वोटबैंक के साथ-साथ पार्टी के नेताओं को भी सियासी संदेश दिया है.