नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से धारा 370 के खत्म होने के 5 साल पुरे हो चुके है. धारा 370 को जब खत्म किया गया था तब विपक्ष की तरफ से मोदी सरकार पर बड़े बड़े हमले किये गए. कई ने कहा अब कश्मीर घाटी को जलने से कोई रोक नहीं सकता.
लेकिन आज की हकीकत मोदी सरकार के फैसले पर मुहर लगाती है. आज धारा 370 खत्म होने के बाद जम्मू कश्मीर में अमन चैन है और लगातार घाटी विकास की मुख्यधारा से जुड़ता जा रहा है. कश्मीर घाटी का विकास ने विपक्ष के मुंह पर ताले लगा दिए हैं. यहां तक कि जम्मू कश्मीर की स्थानीय पार्टियां के भी विचार बदल गए.
लेकिन आज समय है इस विश्लेषण का कि जम्मू कश्मीर ने पिछले पांच सालों में क्या पाया है और क्या खोया है. क्या धारा 370 खत्म होने के बाद वहां के लोगों की ज़िन्दगियां बदली हैं. आंकड़े बताते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार ने कश्मीर की किस्मत बदल दी है. सबसे बड़ी बात है कि आज पत्थरबाजी बीते दिनों की बात होती जा रही है. आतंकी घटनाओं पर खासा लगाम लगा है.
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म करने क फैसला किया है. पिछले पांच सालों में कश्मीर में कई बदलाव किए गए जिससे कश्मीर घाटी की तस्वीर पूरी तरह से बदल गयी हैं. केंद्र की नीतियों का नतीजा है कि आज कश्मीर में पत्थरबाजी इतिहास की बातें दिखती है, वहीं केंद्र की योजनाओं ने कश्मीर को विकास की पटरी पर ला दिया है. यहां तक कि आतंकी घटनाओं के लिए जाने जानी वाली कश्मीर घाटी के लोग आज अमनो चैन से रहने के आदी होते जा रहे है।
आम लोगों के लिए कितनी बदली है घाटी, जम्मू कश्मीर में क्या बदलाव हुए जानते हैं 10 बड़े बदलाव
1. पत्थरबाजी की घटना हुई खत्म- कश्मीर घाटी में एक वक़्त पत्थरबाजी की घटना आम होती थी. आये दिन पत्थरबाजी की घटना से लोगों की मौत तक हो जाती थी. लेकिन धारा 370 ख़त्म होने के बाद इस घटना में निरंतर कमी देखने को मिली. और सरकारी के आंकड़ों के मुताबिक आतंकवादी-अलगाववादी एजेंडा के तहत 2018 में जहां 1767 संगठित पत्थर फेंकने की घटनाएं हुई, जो 2023 में मौजूदा तारीख तक शून्य हैं.
2. आतंकियों ने टेके घुटने – 370 खत्म होने के बाद केंद्र सरकार ने आतंकी घटनाओं के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाई, आतंकी नेटवर्क नष्ट किए गए, सरकारी आंकडों के मुताबिक साल 2018 से 2022 के बीच आतंकी गतिविधियों में 45.2 फीसदी की कमी देखने मिली है.
3. विदेशी घुसपैठ में आई कमी- धारा 370 खत्म करने के बाद सेना ने घुसपैठ पर करारा प्रहार किया है. आलम ये है कि घुसपैठ की घटनाएं भी 2018 में 143 के मुकाबले 2022 में सिर्फ 14 रह गईं.
4. राज्य की कानून व्यवस्था में हुआ सुधार- कानून-व्यवस्था के मामले भी 1767 से घटकर 50 रह गए. 2022 में सुरक्षा बलों के 31 सदस्यों की जान गई, जबकि 2018 में यह 91 थी.
5. आतंकी भर्ती में भी भारी कमी आई है. यह आंकड़ा 2018 में 199 था जो 2023 में आज की तारीख तक घटकर 12 पहुंच गया है.
7. जनता की बेहतरी के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं. घाटी में औद्योगिक विकास के लिए केंद्र ने 28400 करोड़ रुपए का बजट रखा. केंद्र के आर्थिक नीति का आलम है कि आज आज जम्मू कश्मीर में 78000 करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश के प्रस्ताव आ चुके हैं.
8. पंचायती राज का आगाज हुआ- जिला विकास परिषदों के चुनाव के साथ ही त्रि-स्तरीय पंचायतीराज की शुरूआत हुई है. लोगों की मांग को पूरा करते हुए कश्मीरी, डोगरी, उर्दू व हिंदी जैसी स्थानीय भाषाओं को भी आधिकारिक भाषाओं के रूप में जोड़ा गया है. विधायिका में अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं, जो पहले नहीं थीं.
9. धारा 370 हटने के बाद ही जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाये गए. केंद्र सरकार की नीति का आलम है अपने इतिहास में पहली बार जम्मू और कश्मीर में एक विधिवत निर्वाचित 3-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली स्थापित की गई है. नवंबर-दिसंबर 2020 में जम्मू और कश्मीर में जिला विकास परिषदों के सदस्यों के लिए चुनाव हुए. आज जमीनी स्तर के लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में 34,000 से अधिक निर्वाचित सदस्य हैं.
10. धारा 370 खत्म करने के फैसले से पहले अलगाववादियों की शह पर होने वाले सूबे में होने वाले बंद, हड़ताल और पत्थरबाजी न केवल राज्य की आर्थिक सेहत पर बल्कि पूरे समाज पर बुरा असर डालती थी. 370 हटने से पहले स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, इंडस्ट्रीज का बंद होना हर दिन की बात थी. लेकिन आज स्कूल, कॉलेज हर दिन खुलते हैं. आज यहां के छात्र देश की मुख्यधारा से जुड़ते दिख रहे हैं.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)