सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने खेलों इंडिया के तहत 2200 करोड़ रुपये के कुल व्यय में हरियाणा को 3% से भी कम यानी सिर्फ 65 करोड़ रुपये आवंटित किये जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 50% से ज्यादा मेडल जीतने वाले हरियाणा को खेलो इंडिया में 3% से कम राशि देना घोर अन्याय है। दीपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा के खिलाड़ियों द्वारा पदक जीतने पर प्रोत्साहन और पुरस्कार मिलने की उम्मीद के विपरीत सरकार द्वारा इतनी कम की राशि के आवंटन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गुजरात, उत्तर प्रदेश को 400 करोड़ से ज्यादा की राशि दी गई जबकि हरियाणा को सिर्फ 65 करोड़ रुपए ही मिले। उन्होंने कहा कि बजट आवंटन का आधार पदक होना चाहिए यानी अधिक पदक जीतने पर अधिक बजट और कम पदक जीतने पर कम बजट। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बजट की तरह केंद्र सरकार खेल बजट में भी हरियाणा को भूल गयी। दीपेन्द्र हुड्डा ने सवाल किया कि हरियाणा से भेदभाव करके क्या सरकार लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला ले रही है? उन्होंने सरकार से मांग करी कि हरियाणा के साथ न्याय हो और न्याय संगत तरीके से हरियाणा को भी खेलों के लिये पर्याप्त बजट दिया जाए।
लोकसभा के शून्य काल में यह मुद्दा उठाते हुए सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि ओलंपिक में अब तक हमारे 3 मेडल आ चुके हैं और उन्हें बात की खुशी है कि 3 में से 2 मेडल हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते हैं। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि केवल इस ओलंपिक में ही नहीं, हरियाणा के खिलाड़ियों ने हमेशा भारत माता की झोली को पदकों से भरा है। 21वीं सदी में ओलंपिक खेलों में देश को अब तक करीब 20 व्यक्तिगत मेडल मिले हैं, जिसमें से 12 यानी 50 प्रतिशत से ज्यादा हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते हैं। ओलंपिक, एशियाई और कॉमनवेल्थ खेलों में 40 से 50 प्रतिशत मेडल हरियाणा के खिलाड़ी लेकर आ रहे हैं। वहीं प्रतिभागियों की संख्या देखें तो भारत के खिलाड़ियों में लगभग एक चौथाई खिलाड़ी हरियाणा से हैं। इस वर्ष के ओलंपिक में करीब 21 प्रतिशत खिलाड़ी हरियाणा से हैं। उन्होंने हरियाणा के साथ भेदभाव का सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि ये समझ से बाहर की बात है कि हरियाणा से सरकार को क्या नाराजगी है। अगर गुजरात, उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो हरियाणा में भी फिलहाल भाजपा की सरकार है भले ही आने वाले दिनों में यह जाने वाली हो।