BJP News: केंद्रीय भाजपा संगठन एवं राज्यों की उपमुख्यमंत्रियों के अधिकार और उनके कार्य क्षेत्र को स्पष्ट करने को लेकर विचार कर रहा है। दरअसल, भाजपा शासित जिन राज्यों में डिप्टी सीएम है।
उनके पास अलग से कोई अधिकार नहीं है। वह सिर्फ मंत्रियों की तरह ही काम कर रहे हैं।
हाल ही में दिल्ली में भाजपा शासित राज्यों की मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री की संगठन के साथ हुई बैठक में यह बात उठी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन-जिन राज्यों में भाजपा की सरकार हैं वहां पर केंद्रीय संगठन भी नजर बने हुए हैं उसे भी यह आवास हो चला है कि राज्यों में उप मुख्यमंत्री के पद सिर्फ नाम का ही है, जबकि उन्हें मंत्रियों से इतर कोई अधिकार नहीं है। ऐसे में यह चेक किया गया है कि इस पर केंद्रीय संगठन विचार करेगा की उपमुख्यमंत्रियों को मंत्रियों से ज्यादा पावर दिए जाएं, ताकि उनके पद की गरिमा बनी रहे और इस पद पर बैठे पार्टी नेता को मजबूती मिले।
संविधान में उपमुख्यमंत्री का पद नहीं होने के कारण ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही उपमुख्यमंत्रियों को कुछ विशेष अधिकार दिए जाने का समन्वय से रास्ता भाजपा की केंद्रीय नेता निकालेंगे।
महाराष्ट्र-यूपी सहित कई राज्यों में हो रही दिक्कत
राजू में उपमुख्यमंत्रियों को मंत्रियों से अलग हटकर कोई अधिकार नहीं होने के चलते इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत महाराष्ट्र, बिहार जैसे गठबंधन की सरकार वाले राज्यों में भाजपा नेताओं के सामने आ रही है। महाराष्ट्र में शिवसेना की एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री है, जबकि देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी के अजीत पवार उपमुख्यमंत्री है उपमुख्यमंत्री के पास विशेष अधिकार नहीं होने के चलते देवेंद्र फडणवीस भी हर राज्यों की तरह के हालात से गुजर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बृजेश पाठक के बीच अपने अधिकारों को लेकर खटपट की खबरें लगातार आ रही है। इसी के चलते भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अब उपमुख्यमंत्रियों के अधिकार और स्थिति को लेकर चिंतित है।