बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने राजनीति में कदम रखने के तमाम दावों को खारिज करने की कोशिश की है. ऐसा करते हुए निशांत ने कहा, ‘मैं यहां आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आया हूं.
मैं अपने मोबाइल के लिए स्पीकर खरीदने आया हूं ताकि मैं ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ को ठीक से सुन सकूं. मैं पहले ही आध्यात्मिक मार्ग पर निकल पड़ा हूं.’
राजनीति में कदम रखने के दावों को खारिज करते हुए बिहार CM नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने कहा कि वह आध्यात्मिकता के मार्ग पर चल पड़े हैं. दरअसल बीते सप्ताह ही बिहार की राजधानी पटना में एक इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर से बाहर निकलते समय निशांत कुमार ने राजनीति की गलियारों में उन्हें लेकर उड़ रही खबरों को खारिज करते हुए कहा कि वह पहले ही आध्यात्मिकता के डगर पर निकल चुके हैं.
इस बीच राज्य में लगातार ढ़लान के बीच मौजूदा स्थिति से नीतीश कुमार की पार्टी JDU को नई ऊर्जा मिली है. NDA में शामिल होने और गठबंधन में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण JDU को बल मिला है. चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर समेत कई लोग बिहार में JDU के लगातार कमजोर होने की बात कह चुके हैं.
अगर चुनावी तौर पर भी देखें तो JDU बीते कुछ वर्षों में लोकसभा और बिहार विधानसभा दोनों जगह नंबर के मामलों में पहले से घटी ही है. इन सबके बीच पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार की स्वास्थ्य स्थिति ने पार्टी की चिंताओं और चुनौतियों को और बढ़ा दिया है. इसी संदर्भ में नीतीश के बेटे निशांत के राजनीति में आने की संभावना को पार्टी के सामने खड़े नेतृत्व संकट के संभावित समाधान के रूप में देखा जाने लगा था.
कौन हैं बिहार CM नीतीश के बेटे निशांत कुमार?
पिता नीतीश कुमार की ही तरह निशांत भी इंजीनियर हैं. निशांत रांची के बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी-मेसरा) से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं. वो आम लोगों की तरह ही जीवन जीते हैं और पिता नीतीश के साथ पब्लिक लाइफ में बहुत कम ही नजर आते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री का बेटा होने के बावजूद उन्होंने खुद को राजनीति से दूर रखने का रास्ता ही चुना है.
निशांत कुमार के राजनीति में डेब्यू करने के दावे ने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान जोर पकड़ा था. तब JDU के कई नेताओं ने उनके पार्टी में शामिल होने के संकेत दिए थे. हालांकि, निशांत लगातार इन दावों का खंडन करते रहे हैं. इससे पहले जून में JDU के महासचिव परम हंस कुमार ने कहा था कि मौजूदा हालात को देखते हुए निशांत को पार्टी और राज्य की बेहतरी के लिए आगे आना चाहिए. परम हंस कुमार का कहना था, ‘निशांत जी बहुत शांत और दूरदर्शी नेता साबित हो सकते हैं. जहां तक हमने देखा और सुना है, वह बहुत अच्छे व्यवहार वाले हैं और एक प्रभावी युवा नेता हो सकते हैं.’
हालांकि, निशांत खुद और विजय कुमार चौधरी समेत जेडीयू के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने ऐसे दावों का लगातार खंडन किया है. इन्होंने इन अटकलों को निराधार बताया और पार्टी के नेताओं से इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कोई चर्चा न करने का भी आग्रह किया. निशांत कुमार बिहार के मुख्यमंत्री आवास 1 अणे मार्ग पर कम ही देखे जाते हैं, और वहां उन्होंने अपनी उपस्थिति को सीमित कर रखा है. हालांकि, द संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, वह महीने में एक बार अपने गृह जिले नालंदा का दौरा करते हैं.
वंशवाद की राजनीति से सहज नहीं हैं नीतीश
पटना के वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह ने आजतक से कहा, ‘निशांत कुमार के उपर पार्टी के कुछ स्वार्थी नेताओं की ओर से राजनीति में शामिल होने का दबाव है.’ संतोष सिंह बताते हैं कि नीतीश कुमार ही इस विचार से सहज नहीं हैं. यह काफी समय से चल रहा है. हो सकता है कि वे इस पर विचार कर रहे हों.
पटना के वरिष्ठ पत्रकार रोहित सिंह के अनुसार 73 वर्षीय नीतीश कुमार को- जो पहले लालू यादव और उनकी पार्टी राजद की वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देने की आलोचना कर चुके हैं- को अपने बेटे निशांत कुमार को आगे बढ़ाने के दौरान चुनौतियों और हमलों का सामना करना पड़ सकता है. नीतीश की गिनती भारत के उन कुछ बड़े नेताओं में होती है जिनके परिवार के सदस्य राजनीति में नहीं हैं.
वरिष्ठ पत्रकार रोहित सिंह ने बताया, ‘नीतीश ने हमेशा वंशवाद की राजनीति की आलोचना की है. मुझे नहीं लगता कि निशांत तब तक राजनीति में शामिल होंगे, जब तक नीतीश कुमार सक्रिय हैं.’ उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि निशांत कुमार की दिलचस्पी फिलहाल व्यक्तिगत ज्ञान प्राप्त करने है और वो इस अभियान में लगे हुए है. नया ब्लूटूथ स्पीकर खरीदना इसी दिशा में बढ़ाया गया एक कदम मालूम पड़ता है.