India Maldives Tension: पिछले साल मोहम्मद मुइज्जू के मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद से ही नई दिल्ली और माले के बीच रिश्ते खराब हो गए। अब हाल ही में मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में भारत ने मालदीव को तगड़ा झटका दिया है।
भारत ने मालदीव के बजट में बड़ी कटौती की है, जबकि एक और पड़ोसी देश भूटान को सबसे ज्यादा बजट आवंटित किया है। भारत के इस कदम के बाद चीन के करीबी बन रहे मुइज्जू की सारी हेकड़ी निकल गई है। दरअसल, मालदीव पहले ही भारत के पर्यटकों की बेरुखी का सामना कर रहा है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है।
केंद्रीय बजट में भारत ने पड़ोसी देशों को दी जाने वाली डेवलपमेंट राशि के रूप में भूटान को 2,068 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जबकि मालदीव को सिर्फ 400 करोड़ रुपये ही दिए जाएंगे। हालांकि, पिछले साल फरवरी महीने में जब बजट पेश किया गया था, तब भी मालदीव को 400 करोड़ की ही राशि दी गई थी, लेकिन वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद संशोधित बजट में यह राशि बढ़कर 770 करोड़ हो गई थी। यानी कि भारत ने मालदीव में पिछले साल विकास के लिए 770 करोड़ रुपये खर्च किए थे। अब 2024-25 के बजट के लिए राशि को 400 करोड़ ही रखा गया है, जबकि साफ है कि पिछले साल भारत ने मालदीव में ज्यादा पैसा खर्च किया था।
इसके अलावा, इससे पहले इस साल जब फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया गया था, तब भी भारत ने मालदीव के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए थे। अंतरिम बजट से भी तुलना की जाए तो भी भारत ने 2024-25 के लिए मालदीव को दी जाने वाली राशि को घटाकर सिर्फ 400 करोड़ ही कर दिया है। उल्लेखनीय है कि मोहम्मद मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने के बाद द्वीप देश में रह रहे भारतीय सैनिकों को वापस भेज दिया था। इसके बाद दोनों देशों के संबंध काफी खराब हो गए थे। वहीं, मुइज्जू चीन के समर्थक भी माने जाते हैं।
उधर, अन्य देशों में बांग्लादेश को भी 120 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पिछले साल यह राशि 200 करोड़ रुपये थी। मॉरिशस को साल 2004-25 में दी जाने वाली राशि में भी काफी कटौती की गई है। पिछले साल 460 करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि इस बार इसे कम करके 370 करोड़ रुपये कर दिए गए हैं। म्यांमार के लिए 250 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह राशि 400 करोड़ रुपये थी। इसके अलावा, भारत ने श्रीलंका के लिए 245 करोड़, अफगानिस्तान के लिए 200 करोड़, अफ्रीकी देशों के लिए 200 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। वहीं, लेटिन अमेरिकी देशों को 30 करोड़ की राशि दी जाएगी।