देश में 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) लागू हो गए हैं। इसे लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के ‘पार्ट टाइमर’ वाले बयान के बाद राजनीति गरमाई हुई है।
दरअसल चिदंबरम ने कहा था कि तीन नए आपराधिक कानूनों का मसौदा अंशकालिक (पार्ट-टाइमर) लोगों ने तैयार किया था। अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चिदंबरम पर फिर से निशाना साधा है। उनका कहना है कि संसद के सदस्य विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लिए बिना अपनी सहमति दर्ज करा रहे हैं।
उपराष्ट्रपति ने दूसरी बार साधा चिदंबरम पर निशाना
यह दूसरी बार है, जब उपराष्ट्रपति ने चिदंबरम पर निशाना साधा है। राज्यसभा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए धनखड़ ने चिदंबरम का नाम लिए बिना कहा, ‘उन्होंने राज्यसभा में कुछ भी नहीं कहा जबकि वे उस समिति के सदस्य रह चुके हैं। अगर समिति में शामिल कोई सदस्य, समिति के समक्ष अपनी बात रखता है तो समिति द्वारा इस पर विचार किया जा सकता है। उस सदस्य के पास सदन की कार्यवाही में अपनी बात रखने का एक बड़ा अवसर होता है।’ धनखड़ ने आगे कहा, ‘आप अपने संवैधानिक कर्तव्य को नहीं निभा रहे, आप चर्चा में शामिल नहीं हो रहे, आप अपनी बातों को आगे नहीं बढ़ा रहे। फिर आप सदन के बाहर आकर कुछ अलग ही बयान देते हैं। इस तरह से आप अपना अधिकार खो देते हैं।’ धनखड़ ने चिदंबरम का नाम ने लेते हुए इस बात पर जोर दिया कि कुछ सदस्य सदन की कार्यवाही में हिस्सा न लेकर और चुप रहकर अपनी सहमति जता रहे हैं।
चिदंबरम ने क्या कहा था?
आपको बता दें कि शनिवार को कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम ने नए आपराधिक कानूनों पर कड़ा प्रहार किया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसे अहम विधेयक को विधि आयोग के पास भेजा जाना चाहिए था और समिति के अंशकालिक (पार्ट टाइमर) सदस्यों को इसका मसौदा तैयार नहीं करना चाहिए था। चिदंबरम के वार पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने पलटवार किया था। धनखड़ ने कहा, क्या हम संसद में पार्ट-टाइमर हैं? यह संसद की बुद्धिमता का अक्षम्य अपमान है। उपराष्ट्रपति ने कहा, मैं चिदंबरम से अनुरोध करता हूं कि कृपया सांसदों के बारे में अपमानजनक और बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी वापस लें।