अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन होने वाला है। इस सम्मेलन के पहले भारत ने अपना पक्ष रहा। उन्होंने कहा कि एससीओ समूह के नेताओं से पिछले दो दशकों में इसकी गतिविधियों की समीक्षा करने और बहुपक्षीय सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा करने की उम्मीद है।
भारत का प्रतिनिधित्व इस सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे।
2 से 6 जुलाई तक कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के 24वें शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। वर्ष 2023 में भारत ने इसकी मेजबानी की थी कजाकिस्तान समूह के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। इसने पिछले साल जुलाई में वर्चुअल प्रारूप में एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान से बना एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा ब्लॉक है जो सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।
इस एससीओ शिखर सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल नहीं होंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर इसमें भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति, यूक्रेन संघर्ष और एससीओ सदस्य देशों के बीच समग्र सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा होने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि एससीओ में भारत की प्राथमिकताएं प्रधानमंत्री के ‘सिक्योर’ एससीओ के दृष्टिकोण से आकार लेती हैं। सिक्योर का मतलब है सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण संरक्षण।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर शिखर सम्मेलन के लिए अस्ताना में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। “शिखर सम्मेलन में, नेताओं से पिछले दो दशकों में संगठन की गतिविधियों की समीक्षा करने और बहुपक्षीय सहयोग की स्थिति और संभावनाओं पर चर्चा करने की उम्मीद है।” उन्होंने कहा, “बैठक में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के सामयिक मुद्दों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।”
बता दें कि भारत पिछले साल एससीओ का अध्यक्ष था। एससीओ के साथ भारत का जुड़ाव 2005 में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में शुरू हुआ था। यह 2017 में अस्ताना शिखर सम्मेलन में एससीओ का पूर्ण सदस्य देश बन गया। भारत ने एससीओ और इसके क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे (आरएटीएस) के साथ अपने सुरक्षा-संबंधी सहयोग को गहरा करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, जो विशेष रूप से सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों से निपटता है। एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिज़ गणराज्य, कज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा एक शिखर सम्मेलन में की गई थी। 2017 में भारत के साथ पाकिस्तान भी इसका स्थायी सदस्य बन गया।