राज्य के हर खेत तक सिंचाई के लिए नहरी पानी सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाते हुए मुख्य मंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने नहरी पानी को हर खेत तक पहुंचाने और पानी के सुचारू प्रवाह व वितरण के लिए खस्ता नहरों, रजबाहों और माइनरों को पुनर्जीवित करने के साथ अन्य जल प्रबंधन पहल कर नई ऊंचाइयों को छुआ है।
खेतों तक पानी पहुंचाने की पहल के बारे में विस्तार से बताते हुए जल संसाधन मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने बताया कि विभाग के ठोस प्रयासों के चलते पिछले वर्ष पहली बार लगभग 900 स्थानों पर पानी पहुंचाया गया, जिनमें से कुछ स्थान 35-40 वर्षों से सूखे थे।
कैबिनेट मंत्री स. जौड़ामाजरा ने बताया कि “स्थायी जल प्रबंधन संबंधी सरकार के अपने मिशन को जारी रखते हुए, हमने इस वर्ष 114 स्थानों पर खालों को बहाल कर दिया है। इनमें से 13 क्षेत्रों को 40 वर्षों के बाद, दो क्षेत्रों को 35 वर्षों के बाद, पांच क्षेत्रों को 25 वर्षों के बाद और लगभग 50 स्थानों को 18 वर्षों के बाद पानी मिला है। यह क्षेत्र जालंधर, एस.बी.एस नगर, फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना, पटियाला, अमृतसर, एस.ए.एस नगर, होशियारपुर, मोगा, गुरदासपुर, रोपड़, संगरूर और मलेरकोटला ज़िलों में हैं।
इसके अलावा खालों की बहाली के लिए पिछले वर्ष के अभियान को जारी रखते हुए जल संसाधन विभाग को ओर से इस वर्ष भी लगभग 1573 खालों को बहाल किया गया है।
सिंचाई के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने कहा कि हालांकि कंडी नहर परियोजना दो दशक पहले शुरू हुई थी लेकिन किसानों तक पानी नहीं पहुंच सका। उन्होंने कहा कि मुख्य मंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में जल संसाधन विभाग ने कंडी नहर नेटवर्क को बहाल करने के लिए एक व्यापक पुनर्निर्माण अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप 18 साल के सूखे के बाद आखिरकार कंडी नहर में पानी बहने लगा है।
वर्णनीय है कि जहां पिछले वर्ष बहाल किए नहरी खाले सरकारी ज़मीन पर थे, वहीं इस वर्ष किसानों की सहमति से निजी ज़मीन पर बहते खालों को भी बहाल किया गया है। उन्होंने कहा कि पहले इस कार्य को विभाग द्वारा असंभव माना जाता था और इस संबंध में कोई प्रयास नहीं किया गया।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि सिंचाई नेटवर्क को पुनर्जीवित करने का काम मुख्य मंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार के जल संसाधन प्रबंधन और पानी के समान वितरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिससे पूरे क्षेत्र में कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।