नई दिल्ली/टीम डिजिटल। चीन के ऐजराज के बाद भी अमेरिकी सासंदों का एक तिब्बती अध्यात्मिक गुरू दलाई लामा से मिला है। बुधवार को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित एक कार्यक्रम में अमेरिकी सांसद शामिल हुए, जिनमें संसद की पूर्व स्पीकर नैन्सी पेलोसी भी शामिल थी।
इस कार्यक्रम में सांसदों ने कहा कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने में चीन की कोई भूमिका नहीं हो सकती है।अमेरिका उसे ऐसा करने भी नहीं देगा। अमेरिकी सांसदों का यह बयान अहम है क्योंकि करमापा लामा के तौर पर दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में चीन दखल देने की कोशिश कर रहा है।
नैन्सी पेलोसी ने कहा कि दलाई लामा को उनके शांति के संदेश, आध्यात्मिक विरासत, दयालुता के लिए हमेशा याद किया जाएगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब चले जाएंगे तो उनको कोई याद नहीं करेगा। उन्हें किसी भी चीज के लिए क्रेडिट नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि तिब्बती लोग दयालुता के प्रतीक हैं।
उन्होंने कहा अमेरिकी संसद में जो तिब्बत- चीन विवाद ऐक्ट पेश किया गया है, वह सही समाधान पेश करता है। पेलोसी ने कहा कि हमने इस बिल चीन को संदेश देता है कि चीजें बदल गई हैं और आपको उसके लिए तैयार रहना चाहिए।
भारत के दौरे पर आए अमेरिकी सांसदों का नेतृत्व अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के चेयरमैन माइकल मैकॉल ने किया। इसके अलावा एमी बेरा, ग्रेगोरी मीक्स और नैन्सी पेलोसी समेत कुल 7 सांसद डेलिगेशन का हिस्सा हैं। बता दें कि चीन ताइवान और तिब्बत को अपना ही हिस्सा मानता है। वन चाइना पॉलिसी के तहत वह इन पर दावा करता है और किसी भी दूसरे देश के दखल को बर्दाश्त नहीं करता।
करीब ने 70 साल पहले चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। तब से ही हजारों तिब्बती शरणार्थी दलाई लामा के नेतृत्व में भारत में है। इन तिब्बतियों का आपने देश को आजाद कराने का संकल्प रहा है। लामा बुजुर्ग हो चले हैं और उनके उत्तराधिकारी के चयन किया जाना जरूरी है।