महिला एवं बाल विकास मंत्री असीम गोयल ने कहा कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं और उनमे भगवान का वास होता है। इसलिए बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए अभिभावकों को उनके सरंक्षण के साथ बाल अधिकारों पर भी पूरा फोकस रखना चाहिए।
महिला एवं बाल विकास मंत्री लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह सैक्टर 1 में हरियाणा राज्य बाल सरंक्षण आयोग द्वारा उनके हितधारकों के लिए बाल एवं बंधुआ मजदूरी पर आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि किसी भी नागरिक को बच्चों के बचपन को रोंधने का अधिकार नहीं है। हरियाणा राज्य बाल सरंक्षण आयोग भी बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने और उनके सपनों को बिना बाधा के उड़ान भरने के लिए कार्य कर रहा है ताकि बच्चे पूर्ण रूप से आगे बढ सकें। उन्होंने कहा कि हमें बच्चों का सर्वागींण और चहंुमुखी विकास करने के लिए बाल एवं बंधुआ मजदूरी रोक लगाकर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का कार्य करना चाहिए।
असीम गोयल ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं जिला एवं खण्ड स्तर पर आयोजित की जानी चाहिए ताकि संबंधित अधिकारी एवं हितधारक बाल सरंक्षण अधिकारों के प्रति पूरी जानकारी लेकर और अपना ज्ञानवर्धन कर बच्चों के अधिकारों को भलिभांति सुरक्षित करने में अपनी अहम भूमिका निभा सके। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को भी शिविरों में अभिभावकों के नाते काम कर लोगों को जागरूक करने का सार्थक कार्य करना चाहिए।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान चलकार प्रदेश में लिगांनुपात की स्थिति को सुधारने का कार्य किया, उसी प्रकार बाल श्रम एवं बधंुआ मजदूरी के खिलाफ भी विशेष अभियान चलाकर इसे खत्म करने के लिए लोगों को आगे आना होगा। इसके अलावा इस अभियान से जुड़कर एक बेटी को भी अपनाने का संकल्प लेना चाहिए ताकि बेटियों का भविष्य भी सुरक्षित हो सके। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में एक बेटी का कन्यादान हजारों गौदान से भी बढकर माना गया है और बेटियां अपनी किस्मत लेकर पैदा होती है और किसी पर बोझ नहीं बनती।
असीम गोयल ने कहा कि मानव तस्करी, बाल श्रम, बंधुआ मजदूरी जैसे विशेष अभियान से बच्चों के अतीत, वर्तमान और भविष्य को सुखमय बनाए और ऐसे अभिशाप से समाज को निजात दिलवाएं तथा हर नन्ही आंखों में सपने संजोने मे सहयोग करें।
राज्य स्तरीय कार्यशाला को हरियाणा राज्य बाल सरंक्षण आयोग की चेयरमैन प्रवीन जोशी ने कहा कि बाल श्रम एक अभिशाप है जो बच्चों से शिक्षा, स्वतंत्रता, जैसी मूलभूत आवश्यकताऐं छीन लेता है वह न केवल उस बालक अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र की उन्नति के मार्ग में बड़ी बाधा बन जाता है एक और हम विश्व की उभरती हुई अर्थव्यवस्था बनने का जश्न मना रहे हैं दूसरी ओर व्यक्तिगत स्तर पर भी बाल श्रम को रोकने के लिए हमें अपनी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकारनी होगी क्योंकि ये हम सभी का नैतिक दायित्व है निश्चित तौर पर बाल श्रम को रोकने के लिए अब एक सामाजिक क्रान्ति की जरूरत प्रतीत होती है।