Punjab Lok Sabha Election: पंजाब में 28 साल बाद बीजेपी अकेले चुनाव लड़ रही है। इस साल पार्टी का शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन नहीं हो सका है। हालांकि, चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले अकाली दल के फिर से एनडीए में आने की अटकलें चल रही थीं, लेकिन आखिरकार बात बन नहीं पाई।
1996 के बाद पंजाब में भाजपा अकेले चुनाव मैदान में है और उसे कथित रूप से किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। खासकर ग्रामीण इलाकों में उसके प्रत्याशियों के प्रचार करने में भी दिक्कते आने की रिपोर्ट हैं। ऐसे में पार्टी के लिए अपनी बात निष्पक्ष रूप से मतदाताओं तक पहुंचाना उसके लिए बहुत बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।
पंजाब बीजेपी को अपने उम्मीदवारों पर भरोसा इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में पंजाब में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इस चुनौती की बात कबूल की है। उनके मुताबिक बहुत ही कम समय में भाजपा ने पंजाब में अपनी उपस्थिति कायम की है और लोग समझने लगे हैं कि भाजपा-विरोधी दलों ने किस तरह का वातावरण तैयार किया है। हालांकि, उन्हें अपने प्रत्याशियों पर यकीन है कि वे काफी विश्वसनीय हैं और मतदाताओं तक पार्टी की बात पहुंचाने में सफल हो रहे हैं।
ये विरोध काफी हद तक स्क्रिप्टेड हैं- सुनील जाखड़
हालांकि, भाजपा प्रत्याशियों को चुनाव अभियान के दौरान हो रहे विरोध के बारे में उनका कहना है कि ‘ये विरोध काफी हद तक स्क्रिप्टेड हैं। ‘आप’ और कांग्रेस के लोग विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ कर चुके हैं और बीजेपी को प्रचार करने के अधिकार से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि ऐसे तत्व भाजपा की खराब छवि पेश करने के लिए किसानों के खिलाफ हिंसा की साजिश रच सकते हैं। हालांकि, अब लोग ‘आप’ और कांग्रेस के इन गंदे हथकंडों को जान चुके हैं।’
बीजेपी ने किसान संगठनों तक पहुंचाई अपनी चिंता
जाखड़ के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए पार्टी ने किसान संगठनों को आगाह किया है कि ‘कांग्रेस और ‘आप’ के गलत इरादों पर नजर रखें। किसानों को अपनी बातें लोकतांत्रिक तरीके से रखने का पूरा अधिकार है। बातचीत ही एकमात्र रास्ता है और इसके लिए बीजेपी के दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं।’
कांग्रेस और ‘आप’ पर लगाया प्रचार में बाधा पहुंचाने का आरोप
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों की बुनियाद बनने वाला है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ‘(बीजेपी की)सबसे बड़ी चुनौती ‘आप’ और कांग्रेस की ओर से हमें प्रचार के अभियान से रोका जाना है। हमने इस मामले को मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के संज्ञान में लाया है।’
‘हमारा कैडर अपना काम कर रहा है’
उनका कहना है कि ‘जिन गांवों तक हमारे प्रत्याशियों के पहुंचने में दिक्कत हो रही है, हमारा कैडर अपना काम कर रहा है। 2027 तक बीजेपी राज्य में चप्पे-चप्पे तक पहुंच चुकी होगी और चुनावों में स्वीप करेगी।’
पंजाब में बहुकोणीय मुकाबला
पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं, जहां अंतिम चरण यानी 1 जून को मतदान होगा। इस बार राज्य में अधिकतर सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। राज्य में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, मुख्य विपक्षी कांग्रेस के अलावा शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी सब अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पड़ोस के हरियाणा समेत दिल्ली और गुजरात में इंडिया ब्लॉक के सदस्य हैं और गठबंधन के तहत चुनाव मैदान में हैं। लेकिन, पंजाब में दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं हुआ है और दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। वहां इस बार एनडीए में बीजेपी के सबसे पुरानी साथियों में से एक रहा अकाली दल भी अलग से चुनाव मैदान में है।