समूचा देश इस वक्त घने कोहरे के प्रकोप में है। इस कारण नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने दिल्ली एअरपोर्ट पर हाल में विमानों की हो रही देरी और मार्ग परिवर्तन की जांच शुरू की है। अन्य राज्यों के भांति दिल्ली भी इस समय घने कोहरे से जूझ रही है जिससे एयरलाइन परिचालन प्रभावित हो रहा है। इस जांच का उद्देश्य हो रहे व्यवधानों के पीछे के कारणों का पता लगाना है। ऐसी परिस्थिति में डीजीसीए का यह पता लगाना क्या एयरलाइन्स कंपनियों द्वारा कम विजिबिलिटी वाली स्थितियों के लिए उचित रूप से सुसज्जित विमान और पर्याप्त प्रशिक्षित चालक दल तैनात किए हैं या नहीं।
जब जांच की गई तो पता चला कि कैप्टन को कम विजिबिलिटी वाले संचालन के लिए प्रशिक्षित नहीं किए जाने के कारण उड़ानों को डायवर्ट किया गया था। इस कारण अधिकांश उड़ानों को रद्द करना पड़ा क्योंकि पायलटों के पास चुनौतीपूर्ण स्थिति में कम विजिबिलिटी में काम करने के लिए जरूरी प्रशिक्षण का अभाव था। अब जरुरी मानदंडों पर खड़ा नहीं उतरने के कारण दो एयरलाइन्स को नोटिस भेजा गया है लेकिन इस घटना के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह हवाई जहाज के यात्रियों की जान से खिलवाड़ नहीं है?
कारण बताओ नोटिस जारी
डीजीसीए ने गुरुवार को दिल्ली एअरपोर्ट पर कम दृश्यता यानी घने कोहरे के दौरान गैर-कैट III अनुपालन पायलटों को रोस्टर करने के लिए एयर इंडिया और स्पाइसजेट को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसके कारण दिल्ली जाने वाली कई उड़ानों में बदलाव करना पड़ा। इस बात की पुष्टि डीजीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने की।
यह नोटिस एयरलाइंस को तब जारी किया गया था जब यह पता चला कि दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बड़ी संख्या में उड़ान परिवर्तन की सूचना मिली थी क्योंकि इन एयरलाइंस ने गैर-सीएटी III अनुपालन पायलटों को रोस्टर किया था। पायलटों को कम दृश्यता में उड़ान भरने या उतरने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया था।
क्या हैं सीएटी II और सीएटी III ट्रेंड पायलट?
नियमों के मुताबिक मुख्य पायलट को कम से कम 2,500 घंटे और सह पायलट को 500 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव होना चाहिए, जो कि सीएटी II और सीएटी III प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए आवश्यक होता है।
जब कोई पायलट तीन घंटे का सीएटी II ट्रेनिंग हासिल कर लेता है उसके बाद वह दो घंटे के आईएलएस सीएटी-3 प्रशिक्षण के योग्य हो जाता है। इस दौरान पायलट को कोहरे में भी विमान उतारना होता है, जिसके बाद ही उसे सीएटी-3 प्रमाणित और योग्य पायलट माना जाता है।
पायलट को सीएटी-3 बी स्थिति में लैंडिंग और उड़ान भरने के लिए विजिबिलिटी 50-174 मीटर होनी चाहिए। वहीं, सीएटी-3 ए के लिए रनवे पर विजिबिलिटी 175-299 मीटर होनी चाहिए।