अभय सिंह चौटाला ने शीतकालीन सत्र के दौरान शुन्यकाल में सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों, लचर कानून व्यवस्था और अपराधिक प्रवृति के लोगों को पुलिस सुरक्षा देने जैसे अतिमहत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया
बाढ़ से हुए नुकसान पर दिए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर पूछे सवाल
कहा – प्रदेश तभी तरक्की करता है जब उस प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिती ज्यादा अच्छी हो
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर पूछे गए सवाल:
187 करोड़ रूपये में से जो सिर्फ 65 करोड़ रूपये का जो भुगतान किया है उसके बकाया का भुगतान अब तक क्यों नहीं हुआ? भुगतान न होने का क्या कारण है? बकाया पैसा कब तक देंगे। 2023 की जो फसलें खराब हो गई किसान को उसका क्या मुआवजा देंगे? दूसरा सीएम ने जो 7 हजार रूपए प्रति एकड़ मुआवजा देने की घोषणा की बात की थी उसका क्या हुआ? क्या वो पैसा किसान तक पहुंचा? जिन लोगों के मकान टूट गए और जो पोर्टल पर चढ़ा नहीं सके क्या उनको भी क्लेम दोगे? जिन 12 जिलों में बाढ़ आई उसकी आपने अपने किसी अधिकारी से यह जानकारी ली कि कहां कितने मकान गिरे हैं? नरमे और कपास की जो फसल गुलाबी सुंडी से खराब हुई है क्या सरकार ने उसकी गिरदावरी करवाई? और क्या उस किसान को भी मुआवजा दिया जाएगा या नहीं?
चंडीगढ़, 15 दिसंबर। शुक्रवार से शुरू हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र के शुन्यकाल के दौरान ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने शुन्यकाल में बोलते हुए अभय सिहं चौटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री ने भाजपा सरकार के नौ वर्ष पूरा होने पर नौ बड़ी उपलब्धियां बताई थी और बताया था कि उन्होंने नौ वर्षो में प्रदेश को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन इसके उलट इन नौ वर्षो में भ्रष्टाचार बढ़ा, महंगाई बढ़ी, कानून व्यवस्था खत्म हुई और बेरोजगारी बढ़ी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की जो बड़ी उपलब्धि है वो यह है कि आज प्रदेश के सरकारी विभागों में 2 लाख 9 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। जिस सरकार के अंदर 45 प्रतिशत कर्मचारी कम होंगे वो सरकार कभी भी तरक्की नहीं कर सकती, आगे नहीं बढ़ सकती।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग का इतना बुरा हाल है कि 71 हजार से भी ज्यादा पद खाली पड़े हैं। अगर इतने पद खाली होंगे तो जो मध्यम और उच्च वर्ग के लोग हैं वो तो अपने बच्चों को प्राईवेट स्कूलों में पढ़ा लेंगे परंतु मान कर चलो कि गरीब, मजदूर और जिसके पास जमीन नहीं है वो अपना बच्चा नहीं पढ़ा पाएगा। अकेले पुलिस विभाग में आज साढ़े 21 हजार से भी ज्यादा पद खाली पड़े हैं। जहां पुलिस विभाग में इतने पद खाली हैं वहां उसके साथ साथ हजारों पुलिस के कर्मचारी ऐसे लोगों की सुरक्षा में लगाए गए हैं जो अपराध को बढ़ावा देने का काम करते हैं। हैल्थ विभाग में 14 हजार 864 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं जबकि कुल स्वीकृत पद 25 हजार हैं। करीब 60 प्रतिशत पोस्ट खाली हैं।
अगर 60 प्रतिशत पद खाली होंगे तो गरीब आदमी इलाज कहां करवाएगा। कहां जाकर एक्सरे और एमआरआई करवाएगा और कहां जाकर दवाईयां लेगा। सुनने में आया है कि आपकी सरकार एक बिल लेकर आ रही है जिसके बाद परिजन अपने बंदे की डैड बॉडी अस्पताल से तबतक बाहर नहीं ले जा सकेंगे जबतक पूरा पैसा नहीं दिया जाएगा, यह बहुत गलत है। वहीं सिचांई विभाग बहुत महत्वपूर्ण विभाग है जिसमें 20 हजार 463 कुल पद हैं और उसमें से 12 हजार 144 पद खाली पड़े हैं। यह कृषि और किसान से जुड़ा हुआ मामला है आप हर रोज किसान को ताकत देने की बात करते हो लेकिन सिंचाई विभाग का भी दिवालिया पिट कर रख दिया है।
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि प्रदेश तभी तरक्की करता है जब उस प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिती ज्यादा अच्छी हो। ऐसे में लोगों का विश्ववास बढ़ता है, इंडस्ट्री आती है। उद्योगपति इस विश्वास पे उद्योग लगाता है कि उसे वहां किसी किस्म की दिक्कत नहीं आएगी। ये बकायदा विधानसभा में सवाल लगा कर पूछा था कि किन-किन लोगों को आपने सुरक्षा दे रखी है और क्यों दे रखी है? तो सरकार ने जवाब में बताया था कि इनको थ्रैट है। जब पूछा गया कि इनको थै्रट क्यों है? और जिन लोगो से इनको थ्रैट है उन लोगों के खिलाफ आपने क्या कार्रवाई की है? उसपर सरकार के पास कोई जवाब नहीं था। उसी तरह से हैल्थ विभाग है। सीएम और स्वास्थ्य मंत्री का बहुत बड़ा विवाद था जिसके कारण प्रदेश के लोगों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा। सीएम अपने मंत्रियों को भी साथ लेकर नहीं चल पाते।
बाढ़ से हुए नुक्सान पर दिए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर पूछे सवाल
अभय सिंह चौटाला ने बाढ़ से हुए नुक्सान पर दिए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि मंत्री ने माना है कि हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और भिवानी जिलों में 2022 में सरसों और गेहूं की जो फसल खराब हुई थी उसका टोटल 187.95 करोड़ रूपए बनता था और किसानों को दिया गया 65 करोड़ 18 लाख रूपए। मतलब 2022 का पूरा कलेम अब तक नहीं दिया गया हैं। उसके साथ-साथ बारिश ज्यादा होने की वजह से आई बाढ़ के कारण किसानों को अपनी धान की फसल की बुआई दो से तीन बार करनी पड़ी। सीएम ने स्वयं यह घोषणा की थी कि जो किसान दूसरी बार या तीसरी बार फसल की बिजाई करेगा उसको 7 हजार रूपए प्रति एकड़ का मुआवजा दिया जाएगा। मुआवजा तो दूर चला गया जहां दूसरी और तीसरी बार फसल की बिजाई की गई वहां एक भी सरकारी अधिकारी ने जाकर यह नहीं देखा की किसानों ने फसल दूसरी या तीसरी बार बोई है। उससे एक और नुक्सान किसान को हुआ कि उसकी धान की फसल की कटाई लेट हुई और फसल बेचने में दिक्कत आई। उसके साथ 6-7 जिले ऐसे हैं जहां नरमा और कपास की फसल ज्यादा होती है।
सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद और भिवानी उनमें शामिल हैं। इन जिलों में कपास की फसल गुलाबी सुंडी का प्रकोप की वजह से बर्बाद हो गई। जो कोई 2-3 क्विंटल प्रति एकड़ में निकली उसका मंडी में कोई खरीददार नहीं मिला। आज भी किसान के घर में कपास की वो फसल पड़ी हुई है। जबकि केंद्र की सरकार की एक एजेंसी है सीसीआई (कॉटन कारर्पोशन ऑफ इंडिया), जो कपास की खरीद करती है। सरकार एक तरफ तो कहती है कि वो फसल की खरीद एमएसपी पर करते हैं। दूसरी तरफ कपास की फसल को एमएसपी तो दूर सीसीआई द्वारा खरीदी भी नहीं गई। यह किसान का बहुत बड़ा नुक्सान है।
अभय सिंह चौटाला ने मंत्री से पूछा कि वो बताएं कि 187 करोड़ में से जो सिर्फ 65 करोड़ का जो भुगतान किया है उसके बकाया का भुगतान अब तक क्यों नहीं हुआ? भुगतान न होने का क्या कारण है? बकाया पैसा कब तक देंगे। 2023 की जो फसलें खराब हो गई किसान को उसका क्या देंगे? दूसरा सीएम ने जो 7 हजार रूपए प्रति एकड़ मुआवजा देने की घोषणा की बात की थी उसका क्या हुआ? क्या वो पैसा किसान तक पहुंचा? जिन लोगों के मकान टूट गए और जो पोर्टल पर चढ़ा नहीं सके क्या उनको भी कलेम दोगे? जिन 12 जिलों में बाढ़ आई उसकी आपने अपने किसी अधिकारी से यह जानकारी ली कि कहां कितने मकान गिरे हैं? नरमे और कपास की जो फसल गुलाबी सुंडी से खराब हुई है क्या सरकार ने उसकी गिरदावरी करवाई? और क्या उस किसान को भी मुआवजा दिया जाएगा या नहीं?
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि किसान को सबसे बड़ा नुक्सान सरकार की तरफ से है। सरकार की अगर नीयत ठीक हो तो जिन बीमा कंपनियों ने किसानों से बीमा का पैसा लिया है उनसे किसानों को उनका पैसा दिलवाए। जब इस तरह की आपदा आती है तो सरकार की यह जिम्मेवारी बनती है कि गांव-गांव और घर-घर जाए और इस बात की जांच करे और पता करे कि किसका कितना नुक्सान हुआ है। उसके नुक्सान की भरपाई के लिए समय सीमा तय करे। यहां कोई समय सीमा नहीं है। यहां तो सारी अपनी मन मर्जी है।