जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में 30 घंटे तक चला एनकाउंटर खत्म हो गया है। इस मुठभेड़ में सेना ने दो आतंकवादियों को मार गिराया। इस एनकाउंटर में सेना के पांच जवान शहीद हो गए। मुठभेड़ में पैरा कमांडो अब्दुल माजिद भी शहीद हुए हैं। उनका शहादत की खबर मिलते ही परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। माजिद एलओसी पर जीरो-लाइन और सीमा बाड़ के बीच स्थित अजोट गांव का रहने वाला है। माजिद के परिजन अपने लाल की शहादत पर गर्व कर रहे है। अब्दुल माजिद का भाई भी अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर चुका है। आइए जानते हैं राजौरी में शहीद पैरा कमांडो अब्दुल माजिद की कहानी, जिससे आपका सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाएगा।
2017 में भाई भी हुआ शहीद
अब्दुल माजिद के चाचा मोहम्मद युसुफ ने कहा कि हमें माजिद की शहादत पर गर्व है। उसका भाई भी जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री (जेकेएलआई) के सैनिक थे। साल 2017 में पुंछ अपने देश के लिए शहीद हो गए थे। चाचा मोहमद ने कहा कि हमारा पूरा परिवार देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार हैं। सेना में सेवा करना हमारे खून में है। मेरा बेटा भी सेना में है और देश की सेवा कर रहा है।
परिवार के 40 सदस्य सेना में
मोहम्मद युसुफ भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके है। वे सेना की जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंट्री (जेकेएलआई) से सिपाही पद से रिटायर हुए। उनका कहना है कि हम उसे सैनिक परिवार से है जो देश की रक्षा के लिए एलओसी पर रहता है। माजिद के चाचा मोहम्मद ने कहा कि हमारे परिवार के 30 से 40 सदस्य हैं। ये सभी भारतीय सेना में सेवारत हैं, उनमें से कुछ सेवानिवृत्त हो गए है।