World Cup Cricket: श्रीलंका, बांग्लादेश और श्रीलंका की क्रिकेट टीम के विश्व कप में प्रदर्शन को लेकर उनके देश में ही जबर्दस्त तूफान मचा हुआ है। सरकार और किक्रेट प्रशासकों की ओर से ताबड़तोड़ फैसले किए जा रहे हैं। आरोप प्रत्यारोप के दौर चल रहे हैं। श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड अब सब कुछ बदल डालने पर आमादा हैं।
बाबर आजम पर गिरी गाज
कहने को पाकिस्तान टीम के कप्तान बाबर आजम ने स्वयं सभी प्रारूपों से कप्तानी छोड़ने की घोषणा की, लेकिन सच्चाई यह है कि भारत से पाकिस्तान पहुंचने से पहले ही उनके बारे में पीसीबी ने फैसला कर लिया था। केवल औपचारिक घोषणा बाकी थी। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने अब शान मसूद को टेस्ट कप्तान नियुक्त किया है और तेज गेंदबाज शाहीन अफरीदी को टी20 प्रारूप का नेतृत्व दिया गया है। अब यह भी तय नहीं है कि बाबर को बतौर बल्लेबाज तीनों प्रारूप में खिलाया ही जाए।
बाबर को 2019 में वन डे और टी 20 का कप्तान नियुक्त किया गया था। 2020 में उन्हें टेस्ट टीम का भी कप्तान बना दिया गया, लेकिन उनके नेतृत्व में ग्रीन शर्ट्स ने कोई आईसीसी या एशिया कप खिताब नहीं जीता। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की टीम विश्व कप में शीर्ष टीम के रूप में गई थी, लेकिन ग्रुप चरण में ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई। वर्ल्ड कप में लगातार चार और कुल मिलाकर नौ में से पांच मैच हार गई।
मिकी आर्थर की भी छुट्टी पाकिस्तान ने सिर्फ कप्तान ही नहीं बदला, बल्कि क्रिकेट टीम के बड़े पुनर्गठन के साथ पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद हफीज को पाकिस्तान क्रिकेट टीम का निदेशक नियुक्त कर दिया है। वह मिकी आर्थर की जगह लेंगे। हफीज हाल तक पीसीबी की तकनीकी समिति का हिस्सा थे। बोर्ड ने कोचिंग स्टाफ के पोर्टफोलियो में भी बदलाव की घोषणा कर दी है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की आगामी श्रृंखला के लिए नए कोचिंग स्टाफ की घोषणा जल्द की जाएगी। बांग्लादेश में तूफान के पहले की शांति बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड अभी भी सकते में है। उसका कहना है कि इतिहास में सबसे अच्छी तैयार टीम वर्ल्ड कप में केवल दो जीत हासिल कर सकी, यह समझ से परे है। उसमें भी हार का अंतर जितना बड़ा था, उससे खिलाड़ियों की गुणवत्ता और आत्म-विश्वास की कमी साफ दिखाई देती है। अब यह मान लेना चाहिए कि विश्व क्रिकेट के ऐसे युग में आगे बढ़ चुका है जो बांग्लादेश द्वारा खेले जाने वाले ब्रांड से कहीं अधिक आधुनिक और आक्रामक है। लेकिन तमाम आलोचनाओं के बावजूद बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) अभी खामोशी अख्तियार किये हुए है। बीसीबी मुख्य कोच चंडिका हाथुरुसिंघा की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। टीम निदेशक खालिद महमूद भी विश्व कप प्रदर्शन पर अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। चूंकि इस महीने के अंत में न्यूजीलैंड श्रृंखला के लिए बांग्लादेश की टीम जा रही है, इसलिए मुख्य कोच को हटाया जाना बोर्ड के एजेंडे में नही है। बीसीबी के खिलाफ खुला मोर्चा बीसीबी यदि खामोश है तो ऐसा नहीं है कि बांग्लादेश ने इस हार को पचा लिया है। बीसीबी के पूर्व अध्यक्ष और संसद सदस्य, सबर हुसैन चौधरी ने देश में खेल की स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि हम पीछे जा रहे हैं, जबकि अफगानिस्तान जैसा देश, जिसने हमारे 17 साल बाद टेस्ट दर्जा हासिल किया और कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, आगे बढ़ रहा है। हम नीदरलैंड से भी हारे हैं जो टेस्ट खेलने वाला देश भी नहीं है। इस पराजय के लिए निश्चित रूप से खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन को दोषी ठहराया जा सकता है। अब बहुत हो गया है। मुझे लगता है कि बीसीबी के सभी बोर्ड सदस्यों को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि जवाबदेही के चश्मे से देखा जाए तो यह उनकी सामूहिक विफलता है। उन्होंने देश को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है और इसकी जिम्मेदारी उन्हें ही लेनी होगी।
श्रीलंका क्रिकेट में मचा घमासान
श्रीलंका में तो वर्ल्ड कप में खराब प्रदर्शन के बाद भूचाल सा आ गया है। राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लगातार खराब प्रदर्शन के बाद श्रीलंका सरकार ने क्रिकेट बोर्ड को ही भंग कर दिया था, लेकिन श्रीलंका की अपील अदालत ने देश के खेल मंत्री रोशन रणसिंघे द्वारा श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को बर्खास्त करने के फैसले को रद्द कर दिया है और निष्कासित अधिकारियों को बहाल कर दिया है।
श्रीलंका की विश्व कप विजेता टीम के कप्तान रहे अर्जुना रणतुंगा ने भी मौजूदा बोर्ड के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अर्जुन रणतुंगा ने तो यहां तक बयान दिया है कि श्रीलंका क्रिकेट देश की सबसे भ्रष्ट संस्था के रूप में जाना जाने लगा है। इस बीच आईसीसी ने श्रीलंका सरकार द्वारा खेल प्रशासन में सीधा हस्तक्षेप का हवाला देकर श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को ही निलंबित कर दिया है। इसका मतलब यह है कि निलंबन वापस होने तक श्रीलंका की टीम कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेलेगी। अब कप्तान कुसल मेंडिस ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद से स्थानीय बोर्ड में कथित राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर देश का निलंबन हटाने की अपील की है। श्रीलंका का अगले साल कुछ विदेशी दौरे होने का कार्यक्रम तय है। अब देखना है कि ऊंट किस करवट बैठता है।