India-Russia 24 cargo ships Order: ऐसा लगता है, कि रूस ने भारत को करोड़ों बैरल कच्चा तेल बेचकर कमाए गए भारतीय रुपयों को खर्च करने का तरीका ढूंढ लिया है। भारत और रूस के बीच पिछले कुछ महीनों से व्यापार में भुगतान को लेकर समस्याएं आ रहीं थीं, क्योंकि रूस के पास भारतीय रुपए का पहाड़ जमा हो गया था और रूस उस रुपये को कहीं खर्च नहीं कर पा रहा था।
रूस बार बार भारत पर प्रेशर बना रहा था, कि वो चीनी करेंसी में कच्चे तेल के लिए भुगतान करे, लेकिन भारत ने चीनी करेंसी में भुगतान से इनकार कर दिया था, लेकिन अब लगता है, कि दोनों देशों ने मिलकर नया तरीका खोज निकाला है। पिछले दिनों रिपोर्ट आई थी, कि भुगतान की मुद्रा पर गतिरोध की वजह से एस-400 मिसाइलों (नाटो नॉम डे ग्युरे एसए-21 ‘ग्रोलर’) की दो प्रणालियों की भारत में डिलीवरी में देरी हो रही थी। क्योंकि, रूस भारतीय करेंसी में भुगतान नहीं चाहता था और भारत, चीनी करेंसी में भुगतान के लिए तैयार नहीं था।
लेकिन, ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने अब अपने खजाने में मौजूद भारतीय रुपयों को खर्च करने में मदद के लिए भारतीय शिपयार्ड को 24 मालवाहक जहाजों के निर्माण का ऑर्डर दिया है।
गोवा शिपयार्ड लिमिटेड को ऑर्डर
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) और रूसी निर्यात केंद्र के बीच सहयोग की घोषणा तब हुई है, जब रूसी अधिकारी एस-400 की बाकी बची दो बैटरियों की डिलीवरी कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए भारत पहुंचे थे। रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है, कि साल 2027 तक, भारत सरकार के स्वामित्व वाली सैन्य जहाज निर्माता जीएसएल, 24 मालवाहक जहाजों का निर्माण पूरा कर लेगी, जो कैस्पियन सागर को पार करेंगे। 25 अक्टूबर को अस्त्रखान में अंतर्राष्ट्रीय मंच के दौरान, कैस्पियन इंटरनेशनल इंटीग्रेशन क्लब “नॉर्थ-साउथ” के निदेशक दिमित्री डुबोविक ने इसकी घोषणा की है। इस समझौते को पश्चिमी देशों के रूस पर लगाए गये प्रतिबंधों के बावजूद, व्यापार करने की इच्छा रखने वाले भारत और रूस के लिए फायदे की स्थिति माना जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2022 में, भारत ने रूस को मशीनरी, रसायन, समुद्री उत्पाद और फार्मास्यूटिकल्स सहित 3,139 वस्तुओं का निर्यात किया था, जिनकी कीमत 3.14 अरब अमेरिकी डॉलर थी। आयात के मामले में, भारत ने वित्तीय वर्ष 2022 में रूस से 1,225 वस्तुओं का आयात किया था, जिनमें कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती पत्थर और वनस्पति तेल शामिल हैं, जिनकी कीमत 46.21 अरब अमेरिकी डॉलर है। अमेरिकी प्रतिबंध के बाद रूस ने डॉलर में व्यापार करना बंद कर दिया है और वो चीनी करेंसी युआन में व्यापार कर रहा है, लेकिन भारत रूस के साथ युआन में व्यापार नहीं करता है। लिहाजा, रूस के पास अरबों डॉलर की भारतीय करेंसी जमा हो चुकी है, जिसे रूस खर्च नहीं कर पा रहा है और इसीलिए, दोनों देश इस समस्या से पार पाने के लिए नये-नये विकल्पों पर चर्चा कर रहे हैं।
प्रतिबंधो की वजह से व्यापार पर असर
हालांकि, दोनों देशों को, रूस के खिलाफ लगाए गये पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल रूस के अमेरिका और पश्चिमी देशों में मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार को फ्रीज कर दिया गया था और रूस को पश्चिमी देशों के पेमेंट सिस्टम स्विफ्ट नेटवर्क से बाहर कर दिया गया था। भारत ने इस चिंता के कारण रूस को अमेरिकी डॉलर में भुगतान करने से इनकार कर दिया था और वैश्विक बाजारों में रूस की मुद्रा को उचित दर पर प्राप्त करने की चिंताओं के कारण, भारत रूसी करेंसी रूबल में भी भुगतान स्वीकार नहीं करता है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि मुद्रा को लेकर भारत और रूस के बीच गतिरोध के कारण भारत से 2 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का भुगतान, पिछले एक साल से ज्यादा समय से रुका हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, पेमेंट नहीं मिलने की वजह से, रूस ने स्पेयर पार्ट्स और दो एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की 10 अरब अमेरिकी डॉलर की खरीद के लिए भारत के क्रेडिट को रोक दिया है।
पहले, अब दोनों देशों ने अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए एस-400 के लिए भारतीय रुपये में भुगतान करने का फैसला किया था। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध ने मास्को को आर्थिक रूप से अलग-थलग कर दिया है। पोलिटिको के मुताबिक, एनालिटिक्स फर्म केप्लर ने जो डेटा जुटाए हैं, उसके मुताबिक, रूस अब भारत को सबसे ज्यादा कच्चा तेल बेचने वाला देश बन गया है और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से आधा अरब बैरल से ज्यादा कच्चा तेल भारत को बेच चुका है। जिससे अनुमानित तौर पर भारत से रूस को हर महीने 1 अरब डॉलर का भारतीय करेंसी में भुगतान किया जाता है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस दुविधा को स्वीकार किया है। नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के बाद एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा, “हमने कई अरब रुपये जमा किए हैं, जिनका हमें अभी तक कोई उपयोग नहीं मिला है।” लिहाजा, अब रूस भारतीय रुपये की खपत के लिए भारत के साथ मालवाहक जहाजों की डील कर रहा है और आने वाले वक्त में कई और डील भारत के साथ किए जाएंगे।