खाने-पीने की चीजों के दाम में लगातार हो रही बढ़ोतरी रोकने में केंद्र विफल
त्योहारी सीजन में अनाज, दाल, मसालों के दामों में जबरदस्त बढ़ोतरी
कितने बड़े स्टॉकिस्ट पर कार्रवाई की श्वेत पत्र जारी करे केंद्र सरकार
चंडीगढ़, 02 नवंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव,पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार जनता की खाने की थाली से दाल-रोटी छीनने की हर संभव कोशिश में जुटी है। खाने-पीने की चीजों के दाम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और इस पर काबू पाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। त्योहारी सीजन के बावजूद अनाज, दाल, मसालों व सब्जियों के दाम में जबरदस्त उछाल आया है। जिससे गरीब आदमी का जीना दूभर होता जा रहा है। स्वयं को गरीब हितेषी कहने वाली केंद्र और राज्य सरकार गरीब को एक हाथ से देती है तो तत्काल ही दूसरे हाथ से छीन लेती है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अरहर दाल एक साल में 40 फीसदी तक महंगी हो चुकी है। 31 अक्टूबर 2022 को अरहर की दाल की कीमत 110.56 रुपये प्रति किलोग्राम थी। 31 अक्टूबर 2023, यानी अब यह बढक़र 152 रुपये प्रति किलोग्राम के पार जा चुकी है। इसी तरह उड़द की दाल का भाव 107 रुपये से बढ़कर 120 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच चुका है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मूंग दाल 101 रुपये से बढकर 115 रुपये किलो के पार जा चुकी है। जबकि, चना दाल की कीमत भी 71 रुपये किलो से बढक़र 83 रुपये प्रति किलोग्राम को क्रॉस कर चुकी है। इसी तरह खुदरा बाजार में प्याज के दाम 80 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर चुके हैं, जबकि पिछले साल इन्हीं दिनों में प्याज के दाम 25 रुपये प्रति किलो चल रहे थे। साथ ही निर्यात अधिक होने से चीनी के दामों में तेजी का सिलसिला शुरू हो चुका है। कुमारी सैलजा ने कहा कि खाने-पीने में प्रयोग होने वाले अनाज, दालों व तेल के दाम बढ़ाए जाने के पीछे गुजरात के बड़े-बड़े स्टॉकिस्ट का हाथ है। इन्होंने मंडियों से सस्ते दाम में खरीद की और मोटा मुनाफा कमाने के लिए अब लगातार मनमाने तरीके से दामों को बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि खाने-पीने का सामान लोगों की सबसे बड़ी जरूरत है और इसका फायदा ये बड़े-बड़े व्यवसायी बखूबी उठा रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने बढ़ रही महंगाई को काबू करने के लिए सिर्फ दिखावे के तौर पर खाद्यान्नों के भंडारण की स्टॉक सीमा तय कर दी है। लेकिन, एक भी बड़े स्टॉकिस्ट पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। सख्त कदम न उठाए जाने के पीछे की असली वजह बड़े व्यापारियों का गुजराती होना ही है। केंद्र सरकार को इस सिलसिले में श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि उसने कितने बड़े स्टॉकिस्ट पर कार्रवाई की है। देश को बताना चाहिए कि महंगाई पर काबू पाने के लिए अभी तक क्या-क्या कदम उठाए।
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• Government is snatching bread and butter from the public’s plate: Kumari Selja
• The Center failed to stop the continuous rise in food prices.
• Tremendous increase in the prices of grains, pulses and spices during the festive season.
Chandigarh: Kumari Selja, General Secretary of All India Congress Committee and former Central Minister has alleged that the central government of the Bharatiya Janata Party is making every possible effort to snatch dal and roti from the plates of the people. The prices of essential food items continue to rise, and no steps are being taken to control it. Despite the festive season, there has been a significant increase in the prices of grains, pulses, spices, and vegetables.
In a statement released to the media, Selja cited statistics from the Ministry of Consumer Affairs, revealing that the price of arhar dal has increased by up to 40% over the past year. As of October 31, 2022, the price of arhar dal was 110.56 rupees per kilogram, which has now escalated to 152 rupees per kilogram. Similarly, the prices of other pulses like urad dal, moong dal, and chana dal have also seen substantial increases. Additionally, the cost of onions has surged from 25 rupees per kilogram to 80 rupees per kilogram. Moreover, the rapid increase in sugar prices has been attributed to higher exports.
Selja pointed out the involvement of major stockists from Gujarat in the inflation of prices of grains, pulses, and edible oils, who purchase commodities at lower rates from markets and then raise prices to earn significant profits. The commodities required for basic food are the necessities of the people, and it is the big businessmen who are benefitting from this situation. While the government has set stock limits for food items as a superficial measure to control inflation, no action has been taken against any major stockist. The actual reason behind the reluctance to take strict action is attributed to the influence of these major businessmen from Gujarat. Selja urged the central government to release a white paper detailing the actions taken against these major stockists and to inform the country about the steps taken so far to control inflation.