आशा वर्कर, ग्रामीण सफाई कर्मी समेत कई संगठन चल रहे हड़ताल पर
प्रदेश में कोई दिन ऐसा नहीं जाता, जब कहीं कोई धरना या प्रदर्शन न होता हो
चंडीगढ़, 19 अक्तूबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य, छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार अपने कर्मचारियों की मांगों को लगातार अनसुना कर रही है। कर्मचारियों से जो भी वादे किए गए थे, वे पूरे नहीं किए गए। इसके चलते सरकारी कर्मचारियों का सरकार से विश्वास उठ चुका है। आशा वर्कर, ग्रामीण सफाई कर्मियों समेत कितने ही कर्मचारी संगठन इन दिनों हड़ताल पर चल रहे हैं। कर्मचारी अब सिर्फ चुनाव के इंतजार में हैं, ताकि इस सरकार को चलता किया जा सके। इतना ही नहीं सिरसा में अपना हक मांग रही आशा वर्कर्स के साथ डीएसपी ने दुर्व्यवहार किया और पुलिसकर्मियों ने धक्का मुक्की की।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि आशा वर्कर 73 दिन से हड़ताल पर हैं। जिनकी वजह से वे तमाम कार्य प्रभावित हो रहे हैं, जिनके लिए आशा वर्कर्स की सेवाएं ली जाती हैं। इनके हड़ताल पर होने की वजह से सबसे अधिक दिक्कत गांवों में गर्भवती महिलाओं को हो रही है। वे इनकी मदद के बिना समय पर सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र नहीं पहुंच पा रही हैं। आशा वर्कर्स ने कितनी बार शांतिपूर्वक तरीके से अपनी मांगें सरकार के सामने रखी, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे पहले लंबी चली क्लर्कों की हड़ताल से प्रदेश बड़ा नुकसान झेल चुका है। आखिरकार प्रदेश सरकार को उनकी मांगों का अध्ययन करने के लिए कमिटी का गठन करना पड़ा, तब जाकर हड़ताल खत्म हुई। ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि कर्मचारी संगठनों की जो भी मांग हों, उनका तुरंत अध्ययन शुरू कराए और हड़ताल पर जाने की नौबत ही न आने दे। क्योंकि, सरकारी कर्मियों की हड़ताल के कारण सबसे अधिक दिक्कत प्रदेश के लोगों को होने लगती है। उन्होंने कहा कि सिरसा में बुधवार को मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही आशा वर्कर्स के साथ डीएसपी ने दुर्व्यवहार किया साथ ही पुलिसकर्मियों ने धक्के देकर कई महिलाओं को गिरा दिया।
जैसा पुलिस ने आशा वर्कर्स के साथ किया क्या ऐसी ही महिलाओं को सम्मान किया जाता है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि ग्रामीण सफाई कर्मी इन दिनों हड़ताल पर चल रहे हैं। इससे गांवों में गंदगी के ढेर लगने शुरू हो चुके हैं। कई शहरों में नगर निगम व परिषद कर्मी भी हड़ताल पर हैं। रोडवेज में नए परमिट देने के विरोध में कर्मचारी यूनियन सभी डिपो पर प्रदर्शन करने कर चुकी है, लेकिन इनकी मांग को अनसुना किया जा रहा है। बिजली कर्मचारी भी अपने धरने-प्रदर्शन की रूपरेखा जारी कर चुके है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे साफ होता है कि कोई भी कर्मचारी वर्ग मौजूदा प्रदेश सरकार से खुश नहीं है। किसी वर्ग के साथ सरकार ने वादाखिलाफी की है तो किसी की मांगों पर समय रहते विचार नहीं किया। किसी महकमे में निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है, तो कहीं पर कौशल रोजगार निगम के जरिए ठेके पर स्टाफ रखने पर नाराजगी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसा कोई विभाग नहीं है जिसके कर्मचारी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन न कर रहे हो क्योंकि सरकार ने चुनाव के समय जो वायदे किए थे उन्हें पूरा नहीं कर पा रही है। प्रदेश की नाराज जनता और कर्मचारी आने वाले चुनाव में सबक सिखाकर सरकार से बदला लेगी।
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:-The Bjp-Jjp Alliance Government Is Ignoring the Demands of Employees:- Kumari Selja
:- Opposing Government Employees and the Public is Contrary to Democracy:-Kumari Selja
:- Asha Workers and Rural Sanitation Workers Among Several Organizations Currently on Strike:-Kumari Selja
Chandigarh, October 19.
The National General- Secretary of the All India Congress Committee and former Central Minister, a member of the Congress Working Committee, and the in-charge of Chhattisgarh, Kumari Selja, said that the BJP-JJP Alliance government is continuously ignoring the demands of its employees. Whatever promises were made to the employees have not been fulfilled. As a result, government employees have lost trust in the government. Asha workers, including rural sanitation workers and Government employee organizations, are currently on strike. Employees are now only waiting for the elections so that this government can be removed. Not only that, in Sirsa, along with Asha workers demanding their rights, the Haryana Police also behaved rudely with them. Selja said that Asha workers have been on strike for 73 days, due to which all services are being affected, services that are essential for pregnant women. Without their help, pregnant women are unable to reach government hospitals and health centers on time. Asha workers have peacefully placed their demands before the government many times but have not been heard.
The former Central Minister said that due to the prolonged strike of clerks in the past, the state has suffered a lot. Finally, the state government had to form a committee to study their demands, which led to the end of the strike. In such a situation, the state government should immediately begin studying the demands of employee organizations and should not allow them to go on strike. Employee strikes cause the most trouble for the people in villages. The government should immediately begin studying the demands of employee organizations and not allow them to go on strike. As it is, employee organizations in several cities are on strike. In protest against the new permits in Roadways, employee unions have protested at all depots, but their demands are being ignored. Electricity employees have also announced their protest plans.
The former Central Minister said that this makes it clear that no class of employees in the current state government is happy. For some classes, the government has made promises against privatization, while for others, no consideration of their demands has been given in a timely manner. Opposition to privatization is getting louder in some courts, and in some places, there is anger over keeping staff on contract through the Haryana State Employment Corporation. There is no department in the state where employees are not protesting with their demands, as the government is unable to fulfill the promises made during the elections. The disgruntled public and employees in the state will teach the government a lesson in the upcoming elections.